प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इटावा में रखे कंकाल का अंतिम संस्कार न होने पर गंभीरता दिखाई है. कोर्ट ने यूपी सरकार और पुलिस से जवाब मांगा है. अदालत ने कंकाल का नमूना लेते हुए विस्तृत जानकारी कराने का निर्देश दिए हैं. इस मामले में 31 अक्तूबर को अगली सुनवाई होगी.
एक समाचार पत्र में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने सरकार और स्थानीय पुलिस अधिकारियों से पूछा है कि आमतौर पर शव गृहों में रखे गए शवों के अंतिम संस्कार की क्या प्रथा है? अगर इतना विलंब हुआ है तो इसकी वजह क्या है. किस कारण निश्चित समय में अंतिम संसकार नहीं हुआ. कोर्ट ने यह भी पूछा कि पोस्टमार्टम हाउस में अंतिम संस्कार की प्रथा क्या है. कोर्ट ने मामले की विवेचना की स्थिति और शव संरक्षित करने की पूरी टाइम लाइन बताने का निर्देश दिया है. साथ ही संबंधित केस डायरी और डीएनए जांच को भेजे गए सेंपल रिपोर्ट की भी जानकारी मांगी है.
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बता दें कि कोर्ट में एक परिवार ने रीता नाम के युवती के कंकाल होने का दावा किया है. परिवार के मुताबिक अभी तक डीएनए रिपोर्ट से कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. कोर्ट ने कहा संविधान मृतकों का संरक्षक है अदालतें उनके अधिकारों की प्रहरी हैं, कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा मृतकों के अधिकार जीवित से कम नहीं हैं. मृतकों को कानून द्वारा त्यागा नहीं जाता और वे कभी भी संवैधानिक अधिकार से वंचित नहीं होते है.
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