सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court) ने ऑपरेशन सिंदूर(Opration Sindoor) में शामिल एक महिला वायुसेना अधिकारी की सेवा समाप्ति पर रोक लगा दी है. गुरुवार को जारी आदेश में कोर्ट ने ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ के तहत सेना में शामिल अधिकारियों की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की. न्यायालय ने कहा कि अधिकारियों के लिए यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें 10 साल की सेवा के बाद स्थायी रूप से रखा जाएगा या नहीं, जो कि अनुचित है. इस स्थिति को सुधारने के लिए उचित नीति अपनाने की आवश्यकता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने विंग कमांडर निकिता पांडे की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी नौकरी समाप्त होने पर रोक लगा दी है, जब तक कि विशेष चयन बोर्ड उनके स्थायी कमीशन पर विचार नहीं कर लेता. निकिता पांडे ने 2011 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से वायुसेना में प्रवेश किया था और 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद उनकी सेवा को 19 जून 2025 तक बढ़ा दिया गया था. उन्होंने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. नौकरी समाप्त होने से पहले, निकिता पांडे ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उनकी रिहाई पर रोक लगाई जाए, जब तक कि बोर्ड उनके स्थायी कमीशन पर निर्णय नहीं ले लेता.

निकिता पांडे भारतीय वायुसेना की पहली एसएससी अधिकारी हैं, जिनकी रिहाई पर रोक लगाई गई है. इससे पहले, अदालत ने 9 मई को 50 से अधिक महिला सैन्य अधिकारियों की रिहाई पर भी रोक लगाई थी.

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जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस आदेश के दौरान कहा कि ये अधिकारी राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संपत्ति हैं. उन्होंने यह भी आश्चर्य व्यक्त किया कि केंद्र सरकार ने अब तक ऐसी कोई नीति क्यों नहीं बनाई है, जिसके तहत एसएससी द्वारा चयनित अधिकारी, यदि सभी मानदंडों पर खरे उतरते हैं, तो उन्हें स्थायी कमीशन दिया जा सके.

न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि अनिश्चितता की स्थिति सशस्त्र बलों के लिए अनुकूल नहीं हो सकती. महिला एसएससी अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की कोई निश्चितता न होने के कारण, यह स्थिति 10 वर्षों के बाद अधिकारियों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है.

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अगले आदेश तक सेवा से मुक्त न करने का आदेश

भाटी ने स्पष्ट किया कि उनकी पृष्ठभूमि सशस्त्र बलों से है, इसलिए वे अधिकारियों की स्थिति को भली-भांति समझते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को चयन बोर्ड द्वारा अयोग्य घोषित किया गया था. भाटी ने यह उल्लेख किया कि अधिकारी ने बिना किसी प्रतिवेदन के सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और पीठ को सूचित किया कि दूसरा चयन बोर्ड उनके मामले पर विचार करेगा.

पीठ ने एसीजी की दलील सुनने के बाद विंग कमांडर निकिता पांडे को अगले आदेश तक सेवा से मुक्त न करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, सुनवाई को 6 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. विंग कमांडर निकिता पांडे एक विशेषज्ञ लड़ाकू नियंत्रक हैं, जिन्होंने एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हाल ही में, उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए तैनात किया गया था.