प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से महिलाएं विभिन्न काम करके अपने परिवारों को पालने और अपने जीवनस्तर में सुधार करने का संघर्ष कर अपनी किस्मत बदल रही हैं और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. साथ ही अन्य महिलाओं को समृद्धि की ओर बढ़ने में मदद करती हैं.

ऐसे कई समूह हैं जिसमें महिलाएं एक साथ लोहे की तार जाली (तार फेंसिंग नेट्स) का निर्माण कर रही हैं. इसी कड़ी में महासमुंद विकासखंड के ग्रामीण अंचल की महिलाएं स्व-सहायता समूह से जुड़कर सामाजिक और आर्थिक उत्थान की मिसाल कायम कर रही हैं. बिहान योजना से जुड़ी महिलाएं विभिन्न आजीविका को अपने रोजगार का साधन बना रही हैं. ग्राम पंचायत शेर की सुआ महिला स्व-सहायता समूह की महिलायें तार जाली का निर्माण कर खेत-खलिहानों और बागड़ काम में आने वाली विभिन्न प्रकार की लोहे के तार की जाली का निर्माण कर रही हैं. बिहान योजना से जुड़ी महिलायें विभिन्न आजीविका को अपने रोजगार का साधन बना रही है.

तारजाली से लाखों की कमाई

स्व-सहायता समूह की महिलाओं के जज्बे के आगे अब लोहा भी नतमस्तक होता प्रतीत होता है. महिलाएं अपने कोमल हाथों से अपनी और परिवार की अच्छी परवरिश आजीविका के रूप में फेंसिंग तार जाली का निर्माण कर रही हैं. इस समूह के द्वारा अब तक 2000 बंडल तार जाली का निर्माण कर लिया गया है, जिसको सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में बेचकर लगभग 6 लाख रुपये कमा चुकी है. समूह की अध्यक्ष दिव्या नायक बताती हैं कि समूह में जुड़ने से पहले किसी दूसरे के यहां तार जाली बनाने का कार्य करने जाती थी. तकरीबन दो साल पहले बिहान अंतर्गत समूह से जुड़ने लिए प्रेरित किया गया और समूह से जुड़कर महिलाएं कैसे आत्मनिर्भर बन सकती हैं, कैसे खुद का व्यवसाय शुरू कर सकती हैं, सबकी जानकारी मिली.

आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

वे आगे बताती हैं कि हम सब 11 महिलाएं मिलकर, सुआ महिला स्व-सहायता समूह का गठन किया. जिसके बाद समूह को आरएफ की राशि 15000 रुपये अनुदान के रूप में दिया गया. साथ ही 2 लाख का ऋण भी समूह को दिया गया. अन्य के यहां से तारजाली कार्य सीखने के बाद स्वयं का तार जाली बनाने का काम शुरू किया. प्राप्त ऋण से मशीन और संबंधित सामग्री खरीदी और उत्पादन करना शुरू किया. बिहान योजना से मिले सहयोग की वजह से आज हम सब बहने आत्मनिर्भर बने हैं.

समृद्धि की ओर बढ़ रही महिलाएं

स्व-सहायता समूह की महिलाएं अक्सर सामुदायिक आर्थिक विकास के लिए साथ मिलकर काम करती हैं. समूह के माध्यम से महिलाएं संयुक्त रूप से धन जुटा सकती हैं, लोन ले सकती हैं, और व्यापारिक क्रियाओं में शामिल हो सकती हैं. इसके अलावा, इन समूहों में महिलाएं आपस में ज्ञान और अनुभव साझा कर सकती हैं, जिससे उनका विकास होता है और उन्हें सामाजिक समरसता की दिशा में भी मदद मिलती है. ये महिलाएं विभिन्न काम करके अपने परिवारों को पालने और अपने जीवनस्तर में सुधार करने का संघर्ष कर अपनी किस्मत बदल रही है और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इस तरह के महिला समूहों की साहस, संघर्ष और सफलता को प्रकट करती हैं और अन्य महिलाओं को समृद्धि की ओर बढ़ने में मदद करती हैं. इन समूहों में महिलाएं साथियों के साथ आर्थिक संगठन और विकास के लिए आगे आ रही है.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें