Vat Savitri 2025: आज देशभर में सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए वट सावित्री व्रत कर रही हैं. यह व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन वट वृक्ष (बरगद) की पूजा कर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करती हैं. वट सावित्री व्रत का पौराणिक महत्व अत्यंत गहरा है. मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने अपने तप, व्रत और श्रद्धा के बल पर यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे. तभी से यह व्रत पतिव्रता धर्म की प्रतीक बन गया है और महिलाएं इसे श्रद्धा से करती हैं.

इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के नीचे पूजा करती हैं, सूत का धागा लेकर पेड़ के चारों ओर 108 बार परिक्रमा करते हुए उसे लपेटती हैं. इसके बाद पूजन सामग्री से वट वृक्ष, सावित्री-सत्यवान और यमराज का पूजन किया जाता है. महिलाएं दिन भर निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को कथा सुनने के बाद अन्न-जल ग्रहण करती हैं. यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है. आज के दिन वट वृक्ष की छाया में बैठकर व्रत कथा सुनने और सावित्री जैसी पतिव्रता बनने की कामना का विशेष महत्व है.
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