छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लगातार प्रयास कर रही है. जिसका परिणाम अब सामने आने लगा है. महिलाएं अब खुद हुनरमंद होकर छोटे-छोटे रोजगार के जरिए स्वाबलंबी बन रही हैं. महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम भुथिया में ऐसा ही एक समूह लक्ष्मी महिला स्व-सहायता समूह की दीदियां चैनलिंग फेंसिंग का काम कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं.

इस स्व-सहायता समूह में 10 महिलाएं हैं. यहां के गौठान में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) के तहत चैनलिंग फेंसिंग कार्य से समूह के महिलाओं की किस्मत बदल रही है. समूह की महिलाएं बताती हैं कि रीपा से जुड़ने से पहले वे खेती-किसानी, मजदूरी का करती थी. स्थायी रोजगार की तलाश के लिए इधर-उधर जाना पड़ता था. फिर रीपा के तहत चैनलिंग फेंसिंग के व्यवसाय से जुड़कर गांव में ही हमें सुविधाओं के साथ-साथ अच्छा आर्थिक लाभ मिल रहा है. अब हम गांव में ही रहकर एक उद्यमी बनने की राह पर चल रहे हैं.

घरेलू महिला से बनी उद्यमी महिला

आज गांव में रीपा स्थापित होने से गांव के महिलाओं को स्थायी रोजगार का अवसर मिला है. समूह की महिलाओं में प्रशिक्षण लेने के बाद मनोबल बढ़ा. अब महिलाएं विश्वास और हौसले के साथ स्व-रोजगार कर जीविकोपार्जन करने की राह पर चल पड़ी और अभी तक लगभग 33 क्विंटल चैनलिग फेंसिंग का निर्माण कर चुकी है. जिसमें से 2 लाख 50 हजार रुपये की चैनलिग फेंसिंग का विक्रय कर प्रति सदस्य 6-7 हजार रुपये की आमदनी कर चुकी हैं. जब हमारे द्वारा निर्मित चैन फेंसिंग की मांग आती है, तो हमें गर्व की अनुभूति होती है. एक सामान्य घरेलू महिला से उद्यमी महिला के रूप में पहचान दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ शासन का धन्यवाद.

छतीसगढ़ की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक 
English में खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें