भूपेश सरकार की गौठान योजना से प्रदेश की महिलाओं कि तकदीर बदल गई है. इस योजना ने ना सिर्फ लोगों को काम दिया है, बल्कि लोगों के लिए आर्थिक संबल भी बनी है. जिससे महिलाएं अब सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही हैं. अब महिलाएं केवल चूल्हा चौका तक सीमित नहीं हैं, वे चार दिवारी से बाहर निकलकर स्वावलंबी बन रही हैं.

गौठानों ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए तरक्की के कई रास्ते खोल दिए हैं. इन रास्तों पर चलते हुए महिलाएं तेजी से आगे बढ़ कर अपना नाम रोशन करने लगी हैं. जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा विकासखंड के तिलई गौठान से जुड़कर कई महिला समूह आजीविका संबंधित गतिविधियां संचालित कर रही हैं. महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं. ये अन्य महिला समूहों के लिए मिसाल है. इससे इनका गांव में मान सम्मान भी बढ़ गया है. साथ ही महिलाओं के साथ उनके परिवार भी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं.

लाभकारी साबित हो रही सुराजी योजना

तिलई गौठान में आरती समूह द्वारा वर्मी कंपोस्ट, बतख पालन, जय मां लक्ष्मी समूह द्वारा मुर्गी पालन, मछली पालन, जय अन्नधारी समूह द्वारा सब्जी उत्पादन किया जा रहा है. इन महिलाओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना बेहद लाभकारी साबित हो रही है. ये महिलाओं के लिए आर्थिक उन्नति का माध्यम बन रही हैं. गौठान में आजीविकामूलक गतिविधि के संचालन से अब महिलाओं को गांव में ही आसानी से काम मिल रहा है.

आर्थिक सहायता से मिला संबल

आरती महिला समूह की अध्यक्ष सरोज देवी साहू ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से 75 हजार रुपये और बैंक लिंकेज के माध्यम से लगभग दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली. जिससे समूह की महिलाएं बेहतर कार्य कर सकी. महिलाओं ने करीब 3 हजार 494 बोरी जैविक खाद तैयार कर उसे सोसायटी को उपलब्ध कराया. समूह ने वर्मी कंपोस्ट से 1 लाख 97 हजार 360 रुपये और केंचुआ बेचकर 30 हजार रुपये की आमदनी हुई. उन्होंने बताया कि उनके समूह द्वारा बतख पालन भी किया जा रहा है. समूह द्वारा बतख पालन से 30 हजार रुपये का मुनाफा कमा लिया है.

आजीविकामूलक गतिविधियों से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं

जय मां लक्ष्मी महिला समूह की अध्यक्ष सत्या सोनी ने बताया कि बिहान के माध्यम से उन्हें 75 हजार रुपये एवं बैंक लिंकेज से एक लाख रुपये आर्थिक सहायता मिली. इस राशि में से उन्होंने 17 हजार रुपये लगाकर मुर्गी पालन का काम शुरू किया. जिससे उन्हें 20 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी हुई. उन्होंने बताया कि समूह द्वारा मछलीपालन का भी काम शुरु किया गया है, इससे भी अच्छा मुनाफा होने की आशा है. जय अन्नधारी महिला समूह की अध्यक्ष अनीता यादव बताती हैं कि बिहान से मिली सहायता राशि में से महिलाओं ने 41 हजार 350 रुपये लगाकर सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया. समूह ने अब तक 54 हजार से ज्यादा की सब्जी बेचकर करीब 13 हजार 370 रुपये की कमाई की है.