लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के डौंडी परियोजना में भ्रष्टाचार और मनमानी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां अधिकारियों ने सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी करते हुए फरवरी माह को 30 दिन का मानकर बिल और भुगतान जारी कर दिया। हैरानी की बात यह है कि ये दस्तावेज खुद विभाग के रिकॉर्ड में मौजूद हैं, जिनमें 30 फरवरी की तारीख अंकित की गई है। इसके अलावा सीमेंट की दुकानों से श्रृंगार का सामान खरीदने और अधिकारी द्वारा अपने निजी खाते में पैसे लेकर हितग्राहियों के खाते में ऑनलाइन पेमेंट करने का खुलास हुआ है।

सामूहिक विवाह योजना में गड़बड़ी

यह पूरा मामला मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना से जुड़ा है, जिसके अंतर्गत सामूहिक आदर्श विवाह का आयोजन किया जाता है। नियमों के विपरीत डौंडी परियोजना (डौंडी-02) में बालोद जिले की बजाय जांजगीर-चांपा जैसे अन्य जिलों की फर्मों से सामान सप्लाई कराया गया। इतना ही नहीं, विवाह में शामिल जोड़ों की संख्या भी वास्तविक से अधिक दर्ज कराई गई।

सूत्रों के अनुसार, कई बिल ऐसे पेश किए गए हैं जिनमें तारीख ही दर्ज नहीं है। वहीं कुछ बिलों में 30 फरवरी लिखकर भुगतान का आधार बनाया गया है।

सीमेंट की दुकानों से श्रृंगार सामग्री!

फर्जीवाड़ा यहीं तक सीमित नहीं रहा। दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि विवाह में उपयोग होने वाले श्रृंगार सामग्री और अन्य सामानों की खरीदी सीमेंट की दुकानों से दिखाई गई है। इससे साफ है कि भुगतान केवल कागजों पर दिखाकर राशि हड़पने की कोशिश की गई।

फोन पे से किए गए भुगतान

जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि शासकीय खाते से राशि निकालकर संबंधित अधिकारी ने अपने निजी खाते में डाल दी और उसके बाद ऑनलाइन पेमेंट ऐप (फोन पे) के जरिए कई लोगों को भुगतान किया गया। यह प्रक्रिया नियमों के पूरी तरह खिलाफ है और सीधे-सीधे वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।

कैसे हुआ खुलासा ?

बता दें कि यह मामला तब उजागर हुआ जब दांडी क्षेत्र के एक व्यक्ति ने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत विभाग से जानकारी मांगी। जवाब में प्राप्त दस्तावेजों ने विभाग की गड़बड़ियों की पूरी पोल खोल दी।

अधिकारी ने माना मामला गंभीर

इस पूरे घटनाक्रम पर जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी समीर पांडे ने कहा- “जो दस्तावेज सामने आए हैं, वे गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा कर रहे हैं। हमने मामले को संज्ञान में लिया है। संबंधित अधिकारियों से जांच करवाई जाएगी और यदि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या लापरवाही पाई जाती है तो नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

सवालों के घेरे में विभाग

गौरतलब है कि इस फर्जीवाड़े ने विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर योजनाओं का उद्देश्य गरीब परिवारों की बेटियों का विवाह सम्मानजनक तरीके से कराना है, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है। अब देखना यह होगा कि जांच में कितने बड़े स्तर पर गड़बड़ियों का खुलासा होता है और जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होती है।

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