रायपुर– संविलियन से वंचित हजारों महिला शिक्षाकर्मियों को केंद्र और राज्य शासन द्वारा लागू किए गए 2 वर्ष के चाइल्ड केयर लीव का फायदा नहीं मिलेगा. इस सुविधा का लाभ केवल राज्य सरकार के शासकीय कर्मचारियों को ही मिलना है. दुर्ग जिला शिक्षा अधिकारी ने इस संबंध में राज्य सरकार के आदेश का हवाला देते हुए सबसे पहले आदेश जारी किया है. इसे लेकर संविलियन से वंचित प्रदेश के शिक्षाकर्मियों में जबरदस्त आक्रोश है और उनका कहना है कि यह प्रदेश के महिला शिक्षाकर्मियों के साथ अन्याय है.

छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी विवेक दुबे का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब शिक्षाकर्मियों को किसी प्रकार की सुविधा या अधिकार देते समय उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है. इसी को लेकर प्रदेश के शिक्षाकर्मियों ने संविलियन की लंबी लड़ाई लड़ी लेकिन पूर्ववर्ती सरकार की फूट डालो और शासन करो की नीति के चलते आधे शिक्षाकर्मी संविलियन से वंचित रह गए जबकि मातृ राज्य मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया गया.

बड़ा सवाल यह है कि क्या वह महिला शिक्षाकर्मी जिन की सेवा 8 वर्ष से कम है, उनके बच्चों को अपनी मां की जरूरत नहीं है ? क्या उनके संतान को विशेष परिस्थितियों में देखभाल की आवश्यकता नहीं है ? क्या यह उनका बुनियादी हक नहीं है की अन्य महिला कर्मचारियों के समान उन्हें भी यह लाभ मिले ? संघ ने कहा कि हमारा कांग्रेस सरकार और उनके मुखिया भूपेश बघेल से निवेदन है कि अपने वादे और जनघोषणा पत्र के अनुरूप प्रदेश के वे तमाम शिक्षाकर्मी जो संविलियन से वंचित रह गए हैं उनके शीघ्र अतिशीघ्र संविलियन की घोषणा करते हुए उनको शिक्षा विभाग में लाया जाए ताकि प्रदेश के शिक्षाकर्मी वेतन और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करने पर मजबूर न हो और प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आ सके.