विप्लव गुप्ता. पेण्ड्रा. मरवाही विकासखंड में संचालित सरकारी प्राथमिक शाला के बच्चों को बीते 5 दिनों से मध्यान्ह भोजन नहीं मिल रहा है ऐसे में छात्र घर से खाना लेकर आ रहे हैं. महिला स्व-सहायता के साथ शिक्षा विभाग की नाकामी सामने आने के बाद अब जिम्मेदार अधिकारी व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कह रहे हैं.

मामला मरवाही विकासखंड का है, जहां के ठोड़ीचुआ प्राथमिक शाला में बीते 5 दिनों से बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल रहा है. दरअसल, ठोड़ीचुवा प्राथमिक शाला में मध्यान्ह भोजन का काम करने वाली स्व-सहायता समूह इसके अलावा भी 4- 5 अन्य स्कूलों में मध्यान्ह भोजन संचालित करती है, लेकिन ठोड़ीचुवा स्कूल के ज्यादा दूर होने की वजह से उसने 1 अप्रैल से यहां भोजन बनाना बंद कर दिया है. ऐसे में  बच्चे अपनी पालकों की क्षमता और हैसियत के हिसाब से टिफिन लेकर पहुंच रहे हैं. कोई बच्चा पराठा खाता है, कोई दाल-चावल, तो कोई पॉलीथिन बैग में लाया हुआ सूखा मुर्रा…

मीडिया के पहुंचने पर जागे अधिकारी

स्कूल के शिक्षकों ने भी इसकी जानकारी व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से मरवाही बीईओ को देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली. लेकिन बीते 5 दिनों में बीईओ ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था ही नहीं की. शुक्रवार को जब मीडिया के स्कूल पहुंचने की सूचना मिली तो उन्होंने आनन-फानन में सीएसई को स्कूल भेजा, लेकिन तब तक भोजनावकाश हो चुका था. ऐसे में सीएसई ने वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए दाल बनवा दिया और कल से भोजन व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने की बात कही. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों को जब इस मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने टेलीफोन के जरिए बीईओ से बात कर व्यवस्था दुरुस्त करने कहा.

नहीं पहुंचा पाए बच्चों के मुंह तक निवाला

हालांकि, वे यह भी कहने से नहीं चूके कि शिक्षा विभाग चाहता तो वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में शाला प्रबंधन समिति या पंचायत के माध्यम से मध्यान भोजन का संचालन कराया जा सकता था. कहने को तो मध्यान भोजन व्यवस्था के संचालन और निगरानी के लिए पंचायत से लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक, सीएसई, संकुल प्रभारी, मध्यान्ह भोजन प्रभारी के साथ विकास खंड शिक्षा अधिकारी तक की श्रृंखला है, पर इतने जिम्मेदार लोगों के होने के बावजूद 5 दिनों तक छोटे-छोटे बच्चों के मुंह में निवाला पहुंचाने का काम किसी ने भी नहीं किया.