छत्तीसगढ़ प्रदेश महात्मा गांधी के सपनों के भारत को गढ़ने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. गांधी जी का सपना था ग्राम स्वराज्य. ग्रामीण उद्योग और महिलाओं की शिक्षा तथा स्वरोजगार. गांधी जी के ग्रामीण भारत की परिकल्पना धरातल पर आज सशक्त छत्तीसगढ़ के रूप में साकार होती दिख रही है. प्रदेश के हर गांव की महिलाएं, युवा और किसान अब प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार और आजीविका के साधनों से जुड़ चुके हैं. इसके बलबूते राज्य आर्थिक मोर्चे पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है. गांव के उत्पाद अब गांव के ही ग्रामीणों द्वारा तैयार किए जाते हैं. जो कि आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम को दर्शाता है.

बस्तर से लेकर सरगुजा तक 300 महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना की जा रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) को छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की सबसे मजबूत नींव बताया है. रीपा के जरिए 100 से ज्यादा तरह के ग्रामीण उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. इनकी शुरुआत हर ब्लॉक में करीब दो दो गौठानों के जरिए हुई थी.

अब धीरे-धीरे इनका विस्तार कर इन्हें ग्रामीण औद्योगिक पार्क में बदला गया. इसका उद्देश्य गांव की महिलाओं और युवाओं को सीधे तौर पर रोजगार से जोड़ना है. उन्हें उन उपज से उत्पादों को बनाने के जरिए रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं, जिसे उनके बीच के ही ग्रामीण खेतों में उगाते हैं.

कृषि और वनोपज आधारित उत्पाद पहले शहरी व्यापारियों द्वारा खरीद लिए जाते थे, जिसका ग्रामीणों को कम दाम मिलता था. बाद में यही उत्पाद नई पैकेजिंग के साथ ग्रामीणों को ही ज्यादा दाम में बेचे जाते थे, जिसका मुनाफा ग्रामीणों को मिल ही नहीं पाता था. वे रोजगार के अवसरों से भी वंचित थे. अब इन उत्पादों के उद्योग और इनके प्रसंस्करण से उन्हीं ग्रामीणों को जोड़ा जा रहा है, ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें.

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