पंकज तिवारी, नर्मदापुरम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विधानसभा क्षेत्र काष्ठ शिल्प में अलग पहचान बनाए हुए है. लकड़ी के खूबसूरत खिलौने मध्यप्रदेश में नर्मदा किनारे बसे बुधनी की मुख्य पहचान रहे हैं. सीहोर जिले में आने वाला बुधनी अंग्रेजों के जमाने से लकड़ी की कारीगरी के लिए प्रसिद्ध रहा है. नर्मदापुरम से 7 किमी दूर इस तहसील के घर-घर काष्ठकारी की जाती है. इसे भी पढ़ें : धान खरीदी के पहले दिन 4 हजार किसानों ने बेचा 10 हजार मीट्रिक टन धान, जारी हुए थे 5341 टोकन…

प्राचीन काल से मध्यप्रदेश काष्ठ शिल्प परंपरा में समृद्ध रहा है. इसमें मुख्यत: गाड़ी के पहिए, घरों के दरवाजे, मुखौटे वक्त के साथ अपनी पहचान खो चुके हैं, लेकिन आधुनिकता की इस दौड़ में प्यारे खिलौने कहीं पीछे छूट गए थे, अब इन्हें बनाने वालों के दिन बदलने वाले हैं. प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत ने इनमेें नई जान फूंक दी है. दुनिया की सबसे बड़़े ऑनलाइन शॉपिंग दुकान मेें ये खुलौने वुडक्राफ्ट बुधनी के नाम से उपलब्ध है.

एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) श्रेणी में बुधनी से मशहूर लकड़ी के खिलौने चुने गए हैं. इन्हें अब देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर तक पहुंचाया जा रहा है. टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी सरकार की तारीफ की है. मुख्यमंत्री के प्रयास देश में खिलौना उद्योग को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

प्रदेश सरकार कर रही जमकर प्रचार-प्रसार

प्रदेश सरकार बुधनी में बनने वाले लकड़ी के खिलौनों का दूर-दूर तक प्रचार प्रसार कर रही है. प्रदेश सरकार इन खिलौनों की बिक्री बढ़ाने के लिए भोपाल और नर्मदापुरम (होशंगाबाद) रेलवे स्टेशन पर खिलौनों के स्टॉल लगवाएगी. बुधनी की लकड़ी के ये खूबसूरत खिलौने महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक प्रसिद्ध रहे हैं.

ऐसे बनते हैं बुधनी के खिलौने

बता दें कि बुधनी में खिलौनों सफेद रंग की दुधी लकड़ी से बनते हैं. इसकी खासियत ये है कि इसमें अन्य लकडिय़ों की तरह गांठ और रेशे नहीं होते. ये पूरी लकड़ी एक जैसी होती है, जिस वजह से इससे खिलौने बनाने में आसानी होती है और ये सुंदर भी दिखते हैं. कहा जाता है कि ये लकड़ी औषधीय गुणों से भरपूर होती है.

जंगलों में मिलने वाली दुधी लकड़ी से बनी

ऐसे में अगर बच्चे खेलते समय इन खिलौनों को मुंह में डाल भी लेते हैं, तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होता. बुधनी के जंगलों में पाई जाने वाली दुधी लकड़ी को वन विभाग द्वारा कम दाम पर शिल्पकारों को उपलब्ध कराया जाता है. इसके अलावा इन खिलौनों की सबसे बढ़ी खासियत ये है कि ये प्लास्टिक के खिलौनों की तरह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते.

अब खिलौनों के बाजार का गणित समझिए

उद्योग संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के खिलौना बाजार का आकार पिछले साल एक बिलियन डॉलर का था. 2024-25 में इसके 2 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये हिस्सेदारी अभी बेहद कम है. फिलहाल देश में करीब 100 मिलियन डॉलर के खिलौने का आयात हो रहा है, जो पहले के मुकाबले आधा है. निर्यात पिछले साल के मुकाबले 60 प्रतिशत बढ़ा है. भारत सबसे ज्यादा खिलौने चीन से आयात करता है.

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