शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित माना जाता है. शास्त्रों और लोक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन विशेष रूप से संयम, साधना और सतर्कता का होता है. इस दिन कुछ ऐसे शब्द हैं जिनके प्रयोग से शनिदेव रुष्ट हो सकते हैं, जिससे जीवन में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं. धार्मिक दृष्टिकोण से शनिवार को इन तीन शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए:
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1. “नहीं” – नकारात्मकता का प्रतीक
शनिवार को “नहीं” शब्द का नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग अशुभ माना जाता है. विशेषकर जब कोई ज़रूरतमंद व्यक्ति सहायता मांगे या कोई शुभ कार्य हो रहा हो, तो “नहीं” कहना ऊर्जा के प्रवाह को रोकता है. यह शब्द मन और कर्म दोनों को बाधित करता है. बेहतर होगा कि इस दिन सकारात्मक और सहयोगात्मक उत्तर दें.
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2. “भाग्य” या “किस्मत” – कर्म से विचलन
शनिवार को बार-बार भाग्य या किस्मत को कोसना या दोष देना दुर्भाग्य को आमंत्रित करता है. ऐसी सोच व्यक्ति को आलसी और भाग्य पर निर्भर बना देती है, जो शनिदेव की दृष्टि में अनुचित है. शनि कर्म के देवता हैं – वे केवल कर्मशील व्यक्ति को ही शुभ फल प्रदान करते हैं.
3. दूसरों पर दोष देना – रिश्तों और भाग्य दोनों के लिए घातक
शनिवार को किसी दूसरे पर दोषारोपण करना, निंदा करना या शिकायत करना वर्जित माना जाता है. यह व्यवहार न केवल संबंधों में खटास लाता है, बल्कि वातावरण में नकारात्मकता भी बढ़ाता है, जिससे शनिदेव अप्रसन्न हो सकते हैं.
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