पुरूषोत्तम पात्रा, गरियाबंद। माओवादियों के खौफ की वजह से दस साल से अटका सड़क का अधूरा काम अब जवानों के संगीन के साए में वापस शुरु हो गया है. माओवादियों के विकास विरोधी चेहरे की वजह से जिस सड़क की लागत लाखों में थी अब उसकी लागत 10 साल बाद बढ़कर करोड़ों की हो गई है.
मामला जिले के नक्सल प्रभावित इलाका शोभा गोना का है. 2008 में लगभग 17 किलोमीटर लंबी इस सड़क का टेंडर हुआ था उस वक्त इसकी लागत 57 लाख रुपए थी. माओवादियों के दबाव की वजह से ठेकेदार सड़क का अधूरा काम छोड़कर भाग गया. विभाग के ईई प्रदीप वर्मा ने बताया कि ग्रामीणों की मांग पर 2010 में वापस इस सड़क के लिए टेंडर जारी किया गया लेकिन कोई भी ठेकेदार यहां नक्सलियों के खौफ की वजह से काम करने के लिए तैयार नहीं था.
सीआरपीएफ की निगरानी में सड़क का कार्य अब दुबारा शुरु हो गया है. अब इस सड़क के निर्माण कार्य की लागत 57 लाख से बढ़कर 1 करोड़ 57 लाख रुपए हो गई है. यह पहला मौका है जब जिले में सुरक्षाबलों की निगरानी में सड़क निर्माण कार्य कराया जा रहा है. सीआरपीएफ की बटालियन दिन रात इस सड़क में मुस्तैद है.
17 किमी लंबी इस सडक का निर्माण पीएमजीएसवाय विभाग द्वारा कराया जा रहा है. वहीं सड़क को बनती देख ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है. इलाके के जनपद सदस्य संजय नेताम ने बताया कि 18 गाँव के आवाजाही के लिये एक मात्र सड़क है, इसका बनना जरूरी था. ग्रामीणों की माने तो ये सडक उनके जीवन को बदल देगी, क्योंकि अब तक वे ब्लॉक और जिला मुख्यालय से कटे हुए थे. लेकिन सड़क बन जाने के बाद वे कभी भी कहीं भी आसानी से आ जा सकते है.इस सड़क के लिये उन्हें लम्बा संघर्ष करना पड़ा है. सड़क निर्माण के लिए ग्रामीणों ने पुलिस ओर प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित किया है.