पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. किडनी की बीमारी से जूझ रहे जिले के सुपेबेड़ा में तेल नदी का साफ पानी लोगों तक पहुंचाने के लिए सामूहिक जल प्रदाय योजना बनाई गई थी. जिसका काम आखिरकार शनिवार को शुरू हो ही गया. ग्राम सरपंच चंद्रकला मसरा, पंच पूरित राम नायक समेत ग्राम प्रमुखों की मौजूदगी में पीएचई विभाग के ईई पंकज जैन ने 8 करोड़ 45 लाख की लागत से बनने वाली समूह जल प्रदाय योजना का काम शुरू करवाया. पहले दिन 10 लाख लीटर पानी स्टोरेज करने वाले 21 मीटर ऊंची पानी टंकी की नींव के खनन का काम हुआ. जल जीवन मिशन के तहत जिले की ये पहली ऐसी स्कीम है, जंहा एक साथ कई गांव को शुद्ध जल पहुंचाया जाएगा.

9 गांव के 2074 घरों तक जायेगा फिल्टर पानी

पंकज जैन ने ग्रामीणों से कहा की योजना को 8 से 10 महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस अनुबंधित कार्य में पानी की टंकी के अलवा तेल नदी के किनारे इंटक वेल बनेगा, जो सीधे रिमूवल प्लांट को पानी की सप्लाई देगा और 10 लाख लीटर क्षमता वाले टैंक में पानी इकट्ठा होगा. जहां से सुपेबेड़ा के 430 घरों के अलावा, निष्टीगुड़ा, सेनमूड़ा, ठीरलीगुड़ा, सागौनभाड़ी, खम्हारगुड़ा, खोकसरा,परेवापाली, मोटरापारा के कूल 2074 घरों को पीने का साफ पानी उपलब्ध होगा. उल्लेखित अन्य गांव में जेजेम के तहत 70 हजार लीटर क्षमता वाले पानी टंकी का निर्माण पहले से शुरू कर दिया गया है. जिसमें सुपेबेड़ा के इसी टैंक से सप्लाई की जाएगी. हेड वर्क के इस काम में 16 किमी लंबी मुख्य पाइप लाइन, स्टाफ क्वॉटर और सीसी सड़क का काम भी शामिल है.

48 मौत से शुरू हुई थी योजना की रूपरेखा

2011 में सुपेबेड़ा में जब किडनी की बीमारी से 48 लोगों की मौत हुई थी, तब से साफ पानी उपलब्ध कराने की मांग उठ रही थी. योजना का सर्वे और डीपीआर भाजपा के दूसरे शासनकाल तक बना लिया गया था. भाजपा के तीसरे कार्यकाल में मौत का आंकड़ा 60 पार हो चुका था. लेकिन साफ पानी की योजना केवल फाइलों में थी. सरकार बदली तो कांग्रेस सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और पीएचई मंत्री गुरु रुद्र ने राज्य सरकार के मद से जल आवर्धन योजना के नाम से 10 करोड़ की मंजूरी का एलान कर दिया. टेंडर लगने की प्रकिया शुरू हो ही रही थी, लेकिन 2019 में केंद्रपोषित जल जीवन मिशन लागू हो गया. सरकार ने पहले चली फाइलों को समेट कर, जल जीवन मिशन के मद में शामिल कर इसे समूह जलप्रदाय योजना का नाम दे दिया. राज्य मद के समय 3 और फिर मिशन में शामिल होने के बाद 3 टेंडर अलग-अलग कारणों से फेल होता गया. इसलिए एलान के 4 साल बाद काम शुरू नहीं हो सका. इस सरकार के अंतिम राज्य स्तरीय कमेटी में आखिरकार किसी तरह सुपेबेड़ा सामूहिक जल प्रदाय योजना के लिए टेंडर लगा कर काम शुरू करा लिया गया.

आचार सहिंता से पहले शुरु हुआ काम

2018 में एलान के बाद इस योजना की बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स राजधानी के चौराहे से लेकर सरकारी वेबसाइट में नजर आती रही. विधानसभा में उठाए गए सवालों के जवाब में भी सरकार इस सुविधा का हवाला देकर सुपेबेड़ा मुद्दे में विपक्ष का मुंह बंद करा दिया करती थी. ऐसे में सुपेबेड़ा के लोगों को तेल नदी का पानी पिलाना राजकीय मुद्दा बन गया था. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के आखरी समय में काम ना होता देख भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दे में प्रमुख रूप से शामिल कर लिया था. लेकिन आचार संहिता से ठीक पहले इस पर काम शुरु हो गया.

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