जशपुर. शहर की जीवनदायिनी बांकी नदी को बचाने के लिए अब तक पूरे शहरवासी लगे हुए थे. इस काम में प्रशासनिक सहयोग भी मिल रहा था. लेकिन अब यह पूरा अभियान लगभग ठप पड़ चुका है. ना तो शहर की जनता इसमें दिलचस्पी दिखा रही है और ना ही प्रशासन की ओर से कोई विशेष सहयोग मिल पा रहा है. बांकी नदी के किनारे पार्क डेवलप करने के लिए घेरा लगाने का काम बंद हो चुका है. बताया जा रहा है कि कहीं से भी किसी भी तरह का सहयोग नहीं मिलने से अब शायद आगे काम नहीं बढ़ पाएगा.

बांकी नदी बचाओ अभियान की शुरुआत इसी वर्ष 14 मई को हुई थी. जीवन दायिनी बांकी नदी को विलुप्त होने से बचाने का बीड़ा शहर की जनता और प्रशासनिक अधिकारियों ने उठाया था. कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल ने इसमें रूचि दिखाते हुए शहर के जागरुक नागरिक, स्वयंसेवी संगठन, सामाजिक और धार्मिक संगठनों की लगातार बैठकें लेकर अभियान को आगे बढ़ाया था.

इसके अलावा बांकी नदी के उद्गम स्थल सिंटोंगा से लेकर नदी के बहाव क्षेत्र ग्राम नीमगांव तक पड़ने वाली 10 पंचायतों के ग्रामीणों की बैठक भी लेकर नदी के बहाव क्षेत्र वाले 10 गांव सिटोंगा, कनमोरा, बालाछापार, गम्हरिया, जशपुर, टिकैतगंज, पीड़ी, नीमगांव, पैकू, रातामाटी आदि गांव में विशेष ग्राम सभा का आयोजन भी हुआ था. गांव के सरपंच सचिव के साथ ग्रामीणों ने भी अपने-अपने इलाकों में नदी की सफाई और उसे अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए खूब पसीना बहाया है. इधर शहर में जनसहयोग से रोजाना नदी की अस्तित्व को बचाने का काम चला. जशपुर की लाइफ लाइन बांकी नदी को शहर के गम्हरिया नदी पुल से लेकर संजय निकुंज वनश्री चेक डैम तक नदी पुराने रूप में आ चुकी है. यहां जनसहयोग से हुए काम के साथ प्रशासनिक सहयोग से पोकलेन मशीनें भी लगाई गई थीं. इसके अलावा शहरी इलाके में कॉलेज रोड मुक्तिधाम तक जनसहयोग से नदी की सफाई हुई है और नदी को अतिक्रमण मुक्त भी किया जा चुका है. बचे हुए स्टॉप डैम के निर्माण का काम भी बाकी है.

मानव श्रम के साथ आर्थिक सहयोग की भी जरुरत

जब तक इस काम में प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी रही, विभागीय कर्मचारियों के साथ शहर की जनता भी आगे आते रही. पर जब से प्रशासन ने इस ओर से पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया है, तब से शहर की जनता भी धीरे-धीरे जनसहयोग से कटने लगी है. करीब दो महीने में रोजाना किसी ना किसी सामाजिक संस्था जनसहयोग बांकी नदी आकर कार्य कर रही थी, लेकिन अब सौन्दर्यीकरण के काम में सिर्फ मानव श्रम नहीं बल्कि आर्थिक सहयोग की जरूरत है.

वृहद वृक्षारोपण के साथ पार्क बनाने की है योजना

बांकी नदी के किनारे संजय निकुंज के नीचे वनश्री चेकडैम के पास बांकीनदी के किनारे-किनारे वृहद वृक्षरोपण के साथ लोगों की सुविधा के लिए सौन्दर्यीकरण और पार्क डेवलप करने का काम शुरू किया गया है. राजस्व से भूमि चिह्नांकन के बाद नदी किनारे के 1100 मीटर लंबी जमीन को खंभे गाड़कर घेर दिया गया है. जमीन के इस हिस्से में करीब 300 मीटर में पार्क बनेगा, जहां बच्चों के खेलने के लिए ‘झूले, बड़ों के लिए बैठने का स्थान और वॉकिंग की जगह होगी. बचे हुए इलाके में घने जंगल डेवलप किए जाने की योजना है.

ग्रामीण इलाकों में स्टॉप डैम की हालत खराब

बांकी नदी के उद्गम स्थल सिटोंगा से लेकर 18 किलोमीटर के बहाव क्षेत्र में करीब 10 स्टॉप डैम हैं. जनसहयोग और प्रशासनिक मदद से सिर्फ दो स्टॉप डैम ठीक हो पाए हैं, जो शहरी इलाके में हैं. ग्रामीण इलाकों में बने डैम की हालत बेहद खराब है. इन स्टॉप डैमों को भी सही करने की जरूरत है. तभी नदी में पानी का जमाव हो पाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता और बांकी नदी अभियान के संरक्षक रामप्रकाश पांडेय ने कहा कि बांकी नदी अभियान में जनपहल से शुरू हुए इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को प्रशासनिक और शासकीय सहयोग नहीं मिलने से काम में व्यवधान आ रहा है, जो उचित नहीं है.

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