नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में 22 साल से बन रहे सर्वोदय जैन मंदिर ने अब आकार ले लिया है. दो दशक से ज्यादा के इंतजार के बाद अब पूरा मंदिर खड़ा हो चुका है. अब केवल फीनिशिंग बाकी रह गई है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये काम भी आगामी तीन साल में पूरा हो जाएगा.

दरअसल, इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुए दो दशक से भी ज्यादा हो गया है. करीब साढ़े 4 एकड़ के परिसर में बन रहे इस मंदिर के निर्माण में कहीं भी सीमेंट और लोहे का उपयोग नहीं किया गया है. यही इसकी विशेषता है. वहीं मंदिर निर्माण में लगने वाला गुलाबी पत्थर राजस्थान के धौलपुर बंशी पहाड़ से मंगाया गया है.

मंदिर में करीब 300 कारीगरों ने कलाकृति उकेरी हैं. बताया जाता है कि जब मंदिर का शिलान्यास हुआ था उस समय इसकी लागत का आंकलन 60 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 100 करोड़ से भी ज्यादा हो गया है.

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22 साल पहले हुआ था शिलान्यास

मंदिर में स्थापित भगवान आदिनाथ की अष्टधातु की प्रतिमा 17 टन की है. वहीं जिस कमल पर प्रतिमा विराजित है, उसका वजन 24 टन है. मंदिर के शिखर की ऊंचाई 151 फीट है. मंदिर समिति के मुताबिक आचार्य विद्यासागर की प्रेरणा से नर्मदा के उद्गम के पास जिनालय और मान स्तंभ का शिलान्यास जून 2000 में किया गया था.

1999 में अमरकंटक लाई गई थी प्रतिमा

आदिनाथ भगवान की प्रतिमा कानपुर से लगे उन्नाव में बनी है. जिसे 1999 में अमरकंटक लाया गया था. श्री दिगंबर जैन अमरकंटक क्षेत्रीय विकास समिति के सदस्य ने बताया कि मंदिर का काम 2025 तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रतिमा की स्थापना 6 जुलाई 2003 को हो चुकी थी. लेकिन प्राण-प्रतिष्ठा अभी बाकी है.

भगवान आदिनाथ की प्रतिमा