प्रदीप ठाकुर, देवास। कलेक्टर कार्यालय में मंगलवार को कलेक्टर ऋषव गुप्ता की जनसुनवाई के दौरान एक श्रमिक ने जहरीला पदार्थ खा लिया। शोर सुन अंदर बैठे अधिकारियों में कुछ देर के लिए हड़कंप मच गया। श्रमिक अरुण सोनी के मुंह में अंगुली डालकर काले रंग का जहरीला पदार्थ बाहर निकाला और पानी से कुल्ला करवाया गया। फिर तहसीलदार पूनम तोमर ने अपने वाहन से उसे जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां उसका इलाज जारी और उसकी हालत खतरे से बाहर है।

जहर खाने वाले पीड़ित अरुण सोनी ने बताया कि फरवरी में औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक कंपनी में बायलर की राख के संपर्क में आने से एक पैर झुलस गया था। हादसे के बाद उसे सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया था। इसके बाद अरुण ने कलेक्टर कार्यालय, एसपी कार्यालय, श्रम विभाग, सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई और न ही मदद मिली। जिससे वह परेशान है।

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पीड़ित ने कहा कि एक महीने से मेरा केस चल रहा है। कल मुझे एक प्रतिलिपि मिली। जिस सरकारी विभाग में मेरी जवाबदारी है। उन लोगों ने भी मेरा कोई सहयोग नहीं किया बल्कि मुझ पर दबाव बनाया कि 20-25 हजार लेकर केस खत्म करो। ऐसा लग रहा था कि वे सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में बोल रहे थे।

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पीडि़त का कहना है कि कंपनी वालों ने मुझे विश्वास में लिया। बोले कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई मत करो। हम आपका पूरा सपोर्ट करेंगे। अस्पताल जाकर बोलना कि यह पैर घर पर जला है। उन्होंने कहा कि सैलेरी देंगे, कंपनी में भी रख लेंगे और जो पैसा बनेगा वह भी देंगे। लेकिन आज मुझे 8 महीने बीत गए। आवेदन देते-देते मैं थक गया हूं। आज तक मुझे एक रुपए की सहायता नहीं मिली। मैं मजदूर आदमी अब कैसे परिवार का पेट पालूंगा इसी चिंता में जहर का सेवन कर लिया।

वहीं कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने मामले में कहा कि एक कंपनी में श्रमिक का एक्सीडेंट हो गया था। कंपनी ने पहले उसका इलाज करवाया था और मुआवजे के रुप में मेडिकल हेल्थ और सैलेरी दी। लगभग डेढ़ लाख रुपए उसे सहायता दी थी। श्रमिक का औद्योगिक हेल्थ एंड सेफ्टी में उसका केस चल रहा है। जो भी क्षतिपूर्ति का मुआवजा तय होगा, वह दिया जाएगा।

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