सुरेन्द्र जैन, धरसीवां. उरला बोरझरा स्थित बजरंग पावर प्लांट में काम करने वाले धनेश कुशवाह की फैक्ट्री में हुए हादसे में झुलसने के बाद 25 जुलाई को मौत हो गई. हादसे के बाद मुआवजे के लिए 26 जुलाई को मृतक के परिजन फैक्ट्री के सामने रोते बिलखते रहे. हालांकि, समर्थन में श्रमिक संगठन पहुंचे तो भारी जद्दोजहद के बाद फैक्ट्री प्रबंधन का दिल पसीजा.

मृतक के परिजनों ने बताया कि, धनेश 8-9 साल से फैक्ट्री में काम करता था. 20 जुलाई को वह फेक्ट्री में गर्म लोहा से बुरी तरह झुलस गया था. जिसकी 25 जुलाई को मृत्यु हो गई. पिता की मौत के बाद वही अपनी बुजुर्ग मां औऱ छोटी बहन का सहारा था. मृतक की शादी हो चुकी है. उसकी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.

उचित मुआवजे को लेकर जद्दोजहद
धनेश की मौत से उसका परिवार बेसहारा हो गया. मां-बहन बच्चों का क्या होगा कैंसे उनका जीवन चलेगा, इसके लिए फेक्ट्री प्रबंधन से उचित मुआवजा ना मिलने पर मृतक के परिजन फैक्ट्री पहुंच गए और गेट के सामने रोते रहे. जब यह सूचना श्रमिक नेता राजसिंह हाड़ा को मिली तो वो औऱ बड़ी संख़्या में श्रमिक फैक्ट्री के सामने पहुंच गए. इधर खबर लगते ही तहसीलदार और पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया. टीआई उरला ब्रजेश कुशवाह सिलतरा चौकी प्रभारी यूएन शांत कुमार साहू भी मौके पर पहुंचे और मृतक के परिजनों और फैक्ट्री प्रबंधन से चर्चा की. शाम तक उचित मुआवजे को लेकर चर्चा जारी थी.

आए दिन होते हैं हादसे
ओधोगिक क्षेत्र उरला सिलतरा की फेक्ट्रियों में आए दिन कहीं न कहीं हादसे होते रहते हैं. हेल्थ एन्ड सेफ्टी विभाग के द्वारा समय-समय पर निरीक्षण कर औद्योगिक सुरक्षा को लेकर जो कमियां हैं उन्हें दूर कराना चाहिए, लेकिन ऐंसा नहीं होता. सुरक्षात्मक उपायों की अनदेखी के चलते अधिकांश हादसों में श्रमिकों की जान चली जाती है. बावजूद सुरक्षा उपकरणों की अनदेखी जारी है.

अधिकांश फेक्ट्रियों में महिला श्रमिकों का ईएसआईसी तक नहीं
अधिकांश उद्योगों में तो ग्रामीण महिला श्रमिकों का न ईएसआईसी है न उन्हें निर्धारित मजदूरी दी जाती. इस कारण ऐसे श्रमिक जिनका ईएसआईसी नहीं होता है, उनकी मौत के बाद उनके परिजनों को बीमा का लाभ नहीं मिलने से उनके परिजनों पर संकट आ जाता है.

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