मनोज यादव कोरबा। तमिलनाडु के होजयरी उद्योग को उंचाई तक ले जाने वाले कामगार छत्तीसगढ़ के हैं, लेकिन कोरोना संकट में जब ये कामगार बेकाम हो गए तो अपने घर लौटने के अलावा कोई चारा नहीं रहा. घर में पांव रखने के बाद अब ये कामगार सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि दोबारा हमें बाहर जाने से बचा लें.

सरकार द्वारा चलाई जा रही श्रमिक विशेष ट्रेन के जरिए तमिलनाडु के कोयम्बतूर से सरगुजा, कोरिया, सूरजपुर के साथ कोरबा के 114 कामगार लौटे हैं. कोरबा स्टेशन पर ट्रेन बुधवार को सुबह 10 बजे पहुंची. इन मजदूरों के आने की पहले से ही जानकारी होने की वजह से पहले ही जिला प्रशासन सतर्क को हो गई थी. इसके आधार पर स्टेशन में सोशल डिस्टेंस के तहत मजदूरों को उतारने, उनका स्वास्थ्य परीक्षण करने और फिर रिकार्ड तैयार कर गंतव्य के लिए रवाना किया गया. संबंधितों को उनके क्षेत्र में अगले 14 दिनों के लिए क्वारेंनटाइन किया जाना है.

कोरबा जिले के बक्साही, चेपा और अन्य क्षेत्रों से वास्ता रखने वाले मजदूरों ने मीडिया से हुई चर्चा में बताया कि सिलाई का काम करने के लिए 2 वर्ष या 7 माह पहले तमिलनाडु गए थे. वहां अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित होजयरी इंडस्ट्रीज में ये काम करते थे. हर महीने 12 हजार रुपए मिलते थे. इसमें से ज्यादातर पैसा वे घर भेज देते थे. लॉकडाउन के कारण समस्याएं थोड़ी बहुत थी, लेकिन इसकी सीमा बढ़ाने से उन्हें दिक्कतें हुई, और उन्हें वापस आना पड़ा. यहां पारिश्रमिक कम है फिर भी अभी के अनुभवों को देखते हुए वे आगे कहीं और जाना नहीं चाहते.

कामगारों की वापसी को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई. अपर कलेक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि कोरबा जिले के 114 प्रवासी लोग इस ट्रेन से पहुंचे हैं, अन्य जिलों के लोगों की वापसी हुई है. प्रोटोकाल के अनुसार लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ उनकी जानकारी दर्ज की और इसके बाद उन्हें आगे भेजा जाना है. जिन मामलों में कोरोना के लक्षण दिखेंगे, उन्हें अस्पताल भेजा जाएगा.