संदीप सिंह ठाकुर, मुंगेली। जिले के लोरमी क्षेत्र स्थित अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा, उनका संरक्षण कर संख्या में वृद्धि करने तथा नए बाघों के री-इंट्रोडक्शन एवं उनके सतत मॉनिटरिंग के संबंध में प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक सुधीर कुमार अग्रवाल के मंशा अनुसार कार्यशाला का आयोजन किया गया।
एक्सपर्ट आर. श्रीनिवास मूर्ति ने टाइगर री-इंट्रोडक्शन के लिए हैबिटेट इंप्रूवमेंट कर मानवीय दबाव को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इसमें व्याख्यान और मार्गदर्शन के लिए अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में आर. श्रीनिवास मूर्ति (आईएफएस सेवानिवृत) को बुलाया गया था। मूर्ति मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के फिल्ड डायरेक्टर रह चुके है, जिनकी मेहनत और कुशल नेतृत्व के कारण ही पन्ना टाइगर रिजर्व में विलुप्त हो गए टाइगर को पुनः री-इंट्रोड्यूस कराया गया था और बाघों की संख्या शून्य से आज लगभग 90 तक पहुंच गया। इस दौरान उन्होंने एक्सिस्टिंग बाघों के संरक्षण और उनकी सतत मॉनिटरिंग एवं बायोटिक प्रेशर को कम करने की जरूरत बताई, वहीं टाइगर री-इंट्रोडक्शन के लिए हैबिटेट इंप्रूवमेंट कर मानवीय दबाव को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

उन्होंने बताया कि जिस प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति की पहचान उनके शरीर के तापमान से हो जाती है, उसी प्रकार एक बेहतर फॉरेस्ट की पहचान वहा टाइगर की उपस्थिति से की जा सकती है, इसीलिए टाइगर को “की-स्टोन स्पेसिस” कहा जाता है। कोई भी टाइगर रिजर्व तब तक एक पूर्ण विकसित & जैव विविधता से समृद्ध नही हो सकता, जब तक वहा निवासरत समुदाय का सहयोग व सुरक्षा उस टाइगर रिजर्व को न मिल जाए। अतः यह प्राथमिक आवश्यकता है कि यहां निवासरत जनसमुदाय को इस दिशा में प्रेरित करने, हर एस्पेक्ट में उनका विश्वास जीतने एवं आवश्यकता अनुरूप जागरूक करने निर्णायक कदम उठाया जाए।

कार्यशाला में वन विभाग के एपीसीसीएफ(वाइल्डलाइफ) प्रेम कुमार ने टाइगर के संरक्षण और री-इंट्रोडक्शन के लिए सभी अधिकारी कर्मचारियों को समझाइश दी और पन्ना टाइगर रिजर्व के अनुरूप समुदाय से बाघों की संरक्षण की दिशा बढ़ने प्रेरित किया गया। इसके लिए उनकी की ओर से मुख्यालय स्तर पर हर प्रकार के मदद का आश्वासन दिया गया। इस दौरान फिल्ड डायरेक्टर मनोज पांडे, डिप्टी डायरेक्टर यूआर गणेश, सहायक संचालक/परिक्षेत्र अधिकारी कोर और बफर तथा सभी कर्मचारी उपस्थित रहे।