रायपुर। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि बस्तर अंचल में शत-प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य को इसी वर्ष हासिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और हजारों मितानिनों के हौसले के बल पर हम इस लक्ष्य को हासिल करेंगे। सिंहदेव आज जगदलपुर के कृषि महाविद्यालय स्थित प्रेक्षागृह में ’आदिवासी अंचलों में टीकाकरण के सुदृढ़ीकरण हेतु’ आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यशाला में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और विधायक बस्तर लखेश्वर बघेल, सांसद बस्तर  दीपक बैज, विधायक भानुप्रतापपुर  मनोज मंडावी और महापौर जतीन जायसवाल भी विशेष रूप से मौजूद थे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्रों की तुलना में बस्तर अंचल की भौगोलिक, सामाजिक और पारम्परिक परिस्थितियां भिन्न हैं। निश्चित रूप से ये परिस्थितियां कठिन हैं, लेकिन अंसभव नहीं है। जब हमने इन क्षेत्रों के गांवों में राशन पहुंचा दिया है, सुकमा जैसे जिले में जैपनीज इनफ्लाईटिस के 70 हजार टीके लगा सकते हैं और जब हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मितानिन कठिन परिस्थितियों में काम कर 70 प्रतिशत टीकाकरण कर सकते हैं, तो मुझे दृढ़ विश्वास है कि शत-प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किस गांव या इलाके के बच्चे टीकाकरण से छूट रहे हैं यह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पता है। इन बच्चों और माताओं तक कैसे पहुंचा जाए, इसके लिए सही और ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है। जहां सबसे कम टीकाकरण होगा, वहां वे खुद जाएंगे। कार्यशाला में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने बस्तर अंचल में काम कर रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को विशेष प्रोत्साहन देने की मांग की। स्वास्थ्य मंत्री ने उनकी मांग पर विचार करने की बात कही।

आदिम जाति कल्याण, स्कूल शिक्षा तथा बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग्रामीण अंचलों में टीकाकरण को लेकर अनेक भ्रांतियां है। टीकाकरण के कारण यदि कभी किसी बच्चे को बुखार आ जाए अथवा दर्द हो जाए तो लोग टीकाकरण से बचना चाहते हैं। ऐसी परिस्थितियों में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इसमें गांव के ऐसे व्यक्ति का सहयोग लिया जा सकता है जो गांव के लोगों को यह समझा सके कि टीकाकरण उनके बच्चे के लिए कितना जरूरी है।

स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक सिंह ने कार्यशाला में बताया कि हर साल छत्तीसगढ़ में 6 लाख 22 हजार बच्चे पैदा होते हैं। इन सभी बच्चों तक पहुंचना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पिछले वर्ष 91 प्रतिशत टीकाकरण हुआ था और देश के पांच अग्रणी राज्यों में छत्तीसगढ़ शामिल था। लेकिन जब हम बस्तर अंचल में देखते हैं तो यहां टीकाकरण का प्रतिशत 69 है। नेशनल ट्राइबल हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार सामान्य क्षेत्रों की तुलना में आदिवासी क्षेत्रों में टीकाकरण 10 प्रतिशत कम है। इसलिए बस्तर अंचल पर फोकस किया गया है। यहां शत-प्रतिशत बच्चों तक पहुंचने के लिए माईक्रो-प्लानिंग की जरूरत है। उन्होंनें इस कार्य में जनप्रतिनिधियों से भी सहयोग की अपील की।

कार्यशाला को भानुप्रतापपुर के विधायक मंनोज मंडावी और भारत में  यूनिसेफ के प्रतिनिधि भृगु कपूरिया ने भी सम्बोधित किया। कलेक्टर कोण्डागांव नीलकंठ टेकाम, कलेक्टर कांकेर के.एल. चैहान, सुकमा कलेक्टर चंदन कुमार ने भी शत-प्रतिशत टीकाकरण को लेकर अपने विचार रखे। कार्यशाला में कमिश्नर बस्तर अमृत कुमार खलखो, संचालक स्वास्थ्य नीरज बंसोड़, संचालक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन डॉ. प्रियंका शुक्ला, कलेक्टर बस्तर डॉ. अय्याज तम्बोली, कलेक्टर नारायणपुर पी.एस. एल्मा, कलेक्टर बीजापुर के.डी. कुजांम, डॉ. टी.आर. चटर्जी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के जनजातीय विशेषज्ञ तथा राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर सहित स्वास्थ्य विभाग का मैदानी अमला, चिकित्सक, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मितानिन उपस्थित थे।