World Athletics Continental Tour: भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में रविवार (10 अगस्त) को आयोजित भारत की पहली विश्व एथलेटिक्स महाद्वीपीय टूर (कांस्य स्तर) प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ के स्टार धावक अनिमेष कुजुर ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने 200 मीटर की रेस में 20.77 सेकंड का समय निकालकर अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड (20.32 सेकंड) तोड़ा और कांस्य पदक हासिल किया। इसी के साथ अनिमेष इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। अनिमेष की इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

बता दें कि 22 वर्षीय कुजुर ने सुबह की 100 मीटर हीट में कुछ कदम दौड़ने के बाद ही रुककर सबको चौंका दिया। आधे घंटे बाद उन्होंने 200 मीटर हीट में हिस्सा लिया और 20.99 सेकंड के समय के साथ फाइनल में जगह बनाई। शाम के फाइनल में उन्होंने 20.77 सेकंड का समय लेकर स्वर्ण जीता। कोरिया के को सेउंघवान (20.95 सेकंड) ने रजत और भारत के रागुल कुमार (21.17 सेकंड) ने कांस्य पदक जीता। पदक जीतने के बाद अनिमेष ने कहा, “शुरुआत उतनी अच्छी नहीं रही, लेकिन बेहतरीन कर्व रनिंग ने मुझे पदक दिलाया।”

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अनिमेष को दी बधाई

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अनिमेष को बधाई देते हुए कहा- छत्तीसगढ़ के लाल अनिमेष कुजूर को बधाई! अनिमेष एशियन चैंपियनशिप से लेकर विश्व मंच तक देश-प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं। जशपुर के इस लाल ने न केवल 100 व 200 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए बल्कि Diamond League में दौड़ने वाला पहला भारतीय बनकर इसने इतिहास रचा है। अनिमेष, तुम पर पूरे छत्तीसगढ़ को गर्व है। तुम्हारी जीत का सिलसिला निरंतर जारी रहे यह कामना है। शुभकामना।

जशपुर के गांव घुइतांगर के रहने वाले हैं अनिमेष

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के एक छोटे से गांव घुइतांगर में जन्में अनिमेष के माता-पिता दोनों पुलिस अधिकारी और पूर्व खिलाड़ी रहे हैं। उनकी मां रीना कुजुर इंटर कॉलेज स्तर की बास्केटबॉल खिलाड़ी रहीं, जबकि पिता अमृत कुजुर राज्य पुलिस फुटबॉल टीम के सदस्य रहे। बचपन में वे और उनके भाई फुटबॉल खेलते थे, लेकिन 2020 में एक राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में उनकी तेज़ रफ्तार को देखकर उन्हें एथलेटिक्स ट्रायल में भाग लेने की सलाह दी गई। वहाँ से उनका स्प्रिंटिंग करियर शुरू हुआ।

2022 में, कोच मार्टिन ओवेंस की नज़र उन पर पड़ी और वे ओडिशा रिलायंस फाउंडेशन हाई परफॉर्मेंस सेंटर में प्रशिक्षण लेने लगे। आज उनका दिन सुबह 5 बजे की वर्कआउट से शुरू होता है, जिसमें फिजियोथेरेपी, क्रायोथेरेपी और हाई-एल्टीट्यूड ट्रेनिंग शामिल है। खानपान पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है।

शुरुआती दिनों में वे राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने के दबाव में थे, लेकिन बाद में उन्होंने केवल “पर्सनल बेस्ट” पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। यही मानसिक बदलाव उनके खेल को नई ऊंचाइयों पर ले गया। हीट स्ट्रोक के एक अनुभव ने उन्हें अपने शरीर की देखभाल का महत्व सिखाया। अब वे हर दौड़ में हाइड्रेशन, आइस पैक्स और तापमान नियंत्रण पर ध्यान देते हैं।

खाली समय में वे PUBG मोबाइल खेलते हैं और अपने पौधों की देखभाल करते हैं। कुजुर ने कहा – “ब्लॉक पर बैठकर, स्टार्टिंग शॉट से पहले मैं सिर्फ सोचता हूँ – पर्सनल बेस्ट, पर्सनल बेस्ट, पर्सनल बेस्ट। जैसे ही दौड़ शुरू होती है, सब ऑटोपायलट पर होता है।”

अनिमेष कुजुर की कहानी सिर्फ तेज़ रफ्तार की नहीं, बल्कि अनुशासन, मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास की भी मिसाल है।

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