पिछलें 20 सालों में जलवायु परिवर्तन ने हमारी पृथ्वी पर गहरा असर डाला है. इस परिवर्तन से आज रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है, बेहिसाब बारिश हो रही है, इसकी तस्वीर गूगल ने आज डूडल एनिमेशन के द्वारा दुनिया को दिखाने का प्रयास किया है.
नई दिल्ली. जलवायु परिवर्तन की तस्वीर दिखाने के लिए गूगल (Google) ने चार जगहों के एनिमेशन का एक समूह बनाया है. गूगल अर्थ टाइम-लैप्स इमेजरी का इस्तेमाल करते हुए डूडल (Doodle) हमारे ग्रह के चारों ओर चार अलग-अलग स्थानों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाता है. गूगल ने अपने एक पोस्ट में लिखा है- ‘जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए अधिक स्थायी रूप से जीने के लिए अभी और एक साथ कार्य करना आवश्यक है.’
विश्व पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत कब से हुई?
22 अप्रैल 1970 को पहली बार ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ मनाया गया था. अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने इसे मनाने की शुरुआत की थी. पृथ्वी जो कि हमारा पोषण करती है, मगर पर्यावरण असंतुलन की वजह से इसकी स्थिति दयनीय होती जा रही है. ऐसे में लोग पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और इसे बेहतर बनाने में योगदान दें. इसी उद्देश्य के साथ हर साल विश्व पृथ्वी दिवस का आयोजन करके लोगों को जागरूक किया जाता है.
विशेष थीम पर आयोजित कार्यक्रम
विश्व पृथ्वी दिवस के दिन पेड़ लगाकर, सड़क किनारे से कचरा उठाकर, लोगों को टिकाऊ जीवन जीने के तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करने जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसके अलावा बच्चों में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन स्कूलों और विभिन्न समाजिक संस्थाओं द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. हर साल अलग अलग थीम पर इस दिन को सेलिब्रेट किया गया है.
- 2022 की थीम ‘इन्वेस्ट इन आवर अर्थ’ मतलब ‘हमारी पृथ्वी में निवेश करें’
- 2021 में वर्ल्ड अर्थ डे की थीम ‘रिस्टोर आवर अर्थ’
- 2020 की थीम ‘क्लाइमेट एक्शन’
रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, बेहिसाब बारिश की आखिर बजह क्या?
मौसम केंद्र के अनुसार सबसे ज्यादा गर्मी साल 2015 से 2021 के बीच अप्रैल में पड़ी है, क्योंकि पेड़ों की कटाई, शहरों में निर्माण, जनसंख्या ओर वाहन बढ़ने से प्रदूषण बढ़ा है, इसके कारण गर्मी बढ़ते ही बारिश हों जाने का ट्रेंड खत्म हो रहा है. बारिश का सिस्टम ना बनने से दिन-प्रतिदिन तापमान बढ़ता जा रहा है.
- ला-नीनो (हवाएं) इफेक्ट से भारत में गर्मियों में भी तापमान कम रहता था, इस बार वह कमजोर रहा. इसके कारण पाकिस्तान और राजस्थान की ओर से गर्म हवाएं मार्च से ही आने लगीं, जो पहले अप्रैल से आती थीं. पश्चिमी विक्षोभ का असर भी कम हो गया है, यही कारण है कि इतनी गर्मी पड़ रही है.
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