कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। विश्व प्रसिद्ध सरोद वादक “पदम विभूषण” उस्ताद अमज़द अली खान सोमवार को ग्वालियर पहुंचे। जहां उन्होने जीवाजी गंज स्थित अपने पैतृक मकान सरोद घर में कुछ वक्त बिताया। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उस्ताद ने कहा कि आज दुनियाभर में मज़हब के आधार पर झगड़े वाली राजनीति हो रही है। उस्ताद ने तानसेन संगीत समारोह में खुद की अनदेखी किए जाने पर दर्द बयां करते हुए कहा कि दुनिया उनको कंसर्ट के लिए बुलाती है, लेकिन अपने ही प्रान्त और शहर में आयोजित हुए 100वें तानसेन समारोह में संस्कृति विभाग ने उनको नहीं बुलाया। उस्ताद ने कहा कि वो CM डॉ मोहन यादव से मुलाकात कर अपनी पीड़ा रखेंगे।

उस्ताद अमज़द अली खान ने कहा कि संगीत ने पूरी दुनिया को जोड़ा है, लेकिन भारत सहित दुनियाभर में राजनीति का आधार अब मज़हब हो गया है। हैरानी की बात है कि 21वीं शताब्दी में आज भी हम धर्म को देखकर एक दूसरे को मार रहे हैं, झगड़ा कर रहे हैं। 21वीं शताब्दी में तो दुनिया पढ़ी लिखी हो गई है। फिर भी रूस यूक्रेन से झगड़ रहा है, फिलिस्तीन इजराइल का झगड़ा हो रहा है। अफसोस की बात है कि अब पढ़ाई लिखाई भी इंसान के अंदर से नफरत नहीं निकाल पा रही है, नकारात्मकता को शिक्षा दूर नहीं कर पा रही है।

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तानसेन समारोह में अनदेखी पर छलका दर्द

पद्म विभूषण उस्ताद अमज़द अली तानसेन समारोह में उनकी अनदेखी किए जाने से भी दुखी नज़र आए। खां साहब ने कहा कि मैंने हमारे मुख्यमंत्री मोहन यादव जी से मिलने का समय मांगा है, उनसे मुलाकात कर बताऊंगा कि हमें अपने प्रान्त में सेवा करने का मौका दें। उस्ताद अमज़द अली ने यह भी कहा कि दुनिया हमें बुला रही है अमेरिका और रियाद में इंडियन एंबेसी ने हमारा कंसर्ट कराया है। देश के हर प्रांत से हमे सेवा का मौका मिल रहा है, ग्वालियर में नही मिला।

अमज़द अली ने कहा कि वो चाहते हैं कि उनकी तीन पीढ़ियां ग्वालियर में एक कंसर्ट कर सामूहिक प्रस्तुति दें। तानसेन शताब्दी समारोह में संस्कृति विभाग का एजेंडा अलग रहा, लेकिन हम तो तानसेन वंश के गुलाम है, ताबेदार है और हम प्रतिनिधि है। ऐसे में तानसेन समारोह में हर साल हमको कम से कम न्योता तो भेज दे। हम अगर बिजी है तो नहीं आएंगे और अगर फ्री है तो जरूर आएंगे।

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कांग्रेस ने कही ये बात

उस्ताद अमज़द के दर्द को लेकर कांग्रेस से राज्यसभा सांसद अशोक सिंह का कहना है कि पद्म विभूषण होने के साथ ही ग्वालियर के संगीत को आगे बढ़ाने में उस्ताद का अहम योगदान है। ऐसे में उनकी पीड़ा पर मुख्यमंत्री को संज्ञान जरूर लेना चाहिए।

ग्वालियर के रहने वाले हैं अमज़द अली

गौरतलब है कि उस्ताद अमज़द अली खान ग्वालियर के रहने वाले हैं, उनके पिता महान संगीतज्ञ थे। लिहाजा युवावस्था में ही उस्ताद अमज़द खान ने सरोद-वादन में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर ली थी। 1971 में उन्होंने द्वितीय एशियाई अंतर्राष्ट्रीय संगीत-सम्मेलन में भाग लेकर ‘रोस्टम पुरस्कार’ प्राप्त किया था। यह सम्मेलन यूनेस्को की ओर से पेरिस में आयोजित किया गया था। जिसमें उन्होंने ‘आकाशवाणी’ के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया था। अमज़द अली ने यह पुरस्कार मात्र 26 वर्ष की आयु में हासिल किया था। इसके अलावा उन्हें यह सम्मान भी मिल चुका है…

  • यूनेस्को पुरस्कार
  • कला रत्न पुरस्कार
  • 1975 में पद्मश्री
  • 1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
  • 1989 तानसेन सम्मान
  • 1991 में पद्म भूषण
  • 2001 में पद्म विभूषण।

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