World Food Safety Day: हर साल 7 जून को पूरी दुनिया में ‘वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे’ (WFSD) मनाया जाता है. जिसके तहत लोगों को दूषित खानपान और इससे होने वाली बीमारियों और उनसे बचने के उपायों के बारे में बताया जाता है. बच्चों का बढ़ता मोटापा भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है. भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन गया है जो बच्चों के मोटापे से ग्रसित है. भारत के 1.44 करोड़ बच्चे मोटापे के शिकार हैं, जिनके वर्ष 2025 तक 1.70 करोड़ हो जाने का अनुमान है.

चिप्स बच्चों की सबसे ज्यादा पसंदीदा चीज होती है. घर से बाहर निकलते ही बच्चे सबसे पहले पैकेट बंद चिप्स, स्नैक्स की मांग करते हैं. कई बार अभिभावक भी बच्चों के लिए घर में स्नैक्स के पैकेट ले जाते हैं.लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये स्नैक्स आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं? पैकेट बंद स्नैक्स से न सिर्फ आपका बच्चा, मोटापे का शिकार हो सकता है बल्कि उसे कई और बीमारियां भी घेर सकती हैं. इसमें डाइबीटीज से लेकर कैंसर तक की बीमारी शामिल है. शोधों में यहां तक कहा गया है कि पैकेट बंद स्नैक्स से हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी रहता है.

शोधों में यह पाया गया (World Food Safety Day)

कुरकुरे-चिप्स में फैट और कैलोरीज की मात्रा काफी ज्यादा होती है. इससे वजन बढ़ने और मोटापा की समस्या हो सकती है. 28 ग्राम आलू चिप्स एवं 15 से 20 चिप्स में 10 ग्राम फैट और 154 ग्राम कैलोरीज होती है. 2015 में हुए एक शोध में बताया गया था कि तले हुए आलू चिप्स मोटापे की प्रमुख वजह है.

हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा

पैकेट बंद स्नैक्स डाइबीटीज और हृदय से जुड़ी बीमारियां का खतरा रहता है. शोधों में यहां तक सामने आया है कि ज्यादा कुरकुरे-चिप्स खाने से कैंसर तक की बीमारी हो सकती है. अगर आपका बच्चा लगातार चिप्स कुरकुरे या इसी तरह के स्नैक्स खाता है तो उसमें पौषण की कमी हो सकती है. चिप्स में विटामिन और मिनरल बेहद कम मात्रा में होते हैं और शरीर को भरपूर पौषण नहीं मिलता है. चिप्स में सोडियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इनमें उच्च रक्त चाप से लेकर स्ट्रोक और हार्ट एवं किडनी की बीमारी शामिल हैं. पैकेट बंद चिप्स आपके बच्चे के कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ा सकता है. चिप्स में इतनी मात्रा में फैट होता है जो शरीर के कोलेस्ट्रोल स्तर को बिगाड़ सकता है. ज्यादातर स्नैक्स डीप फ्राई होते हैं जो कि खतरनाक ट्रांस फैट पैदा करते हैं. यह ट्रांस फैट बच्चों के शरीर के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है.

World Food Safety Day का इतिहास

वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे की शुरुआत यूएनओ ने खाद्य सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और खाद्य जनित बीमारियों को रोकने के लिए कार्यों को बढ़ावा देने किया था. यूएनओ की जनरल असेंबली ने 20 दिसंबर 2018 को फूड सेफ्टी डे मनाने का फैसला किया और इसके लिए 7 जून की तारीख तय की. 7 जून 2019 को पहली बार वर्ल्ड फूड सेफ्टी डे मनाया गया था. उसके बाद से इस दिन को हर साल मनाने का सिलसिला शुरू हो गया.