World Jellyfish Day: नई दिल्ली। हर साल 3 नवंबर को दुनिया भर में ‘विश्व जेलीफिश दिवस’ (World Jellyfish Day) मनाया जाता है. यह दिन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में इन प्राचीन, अद्भुत और अक्सर गलत समझे जाने वाले जीवों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है. जेलीफिश, जिसे ‘समुद्री जेली’ भी कहा जाता है, लाखों वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद है- माना जाता है कि यह डायनासोर के युग से भी पहले की है.

फोटो: ट्यूरिटोप्सिस डोहरनी जेली फिश (Turritopsis dohrnii).

 क्यों मनाया जाता है यह दिवस?

जेलीफिश दिवस मनाने की शुरुआत 2014 में हुई थी. इस दिवस का उद्देश्य इन अकशेरुकी (Invertebrate) जलीय जीवों की विविधता, उनके पारिस्थितिक महत्व और समुद्री पर्यावरण में जलवायु परिवर्तन के कारण उन पर पड़ रहे प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करना है. यह वह समय भी होता है जब जेलीफिश उत्तरी गोलार्ध के तटों की ओर पलायन करना शुरू करती हैं.

जेलीफिश मछली नहीं है: अपने नाम में ‘फिश’ शब्द होने के बावजूद, जेलीफिश मछली नहीं है. इनके शरीर में हड्डियां, दिल, फेफड़े या दिमाग नहीं होता. ये बिना रीढ़ की हड्डी वाले जीव हैं.

 जेलीफिश के बारे में 5 हैरान कर देने वाले तथ्य

  • 95% पानी का शरीर: जेलीफिश का लगभग 95 प्रतिशत शरीर पानी से बना होता है, जिसके कारण ये पारदर्शी दिखाई देती हैं और पानी में आसानी से तैरती हैं.
  • अमरता का वरदान: जेलीफिश की एक प्रजाति, जिसका नाम ट्यूरिटोप्सिस डोहरनी (Turritopsis dohrnii) है, को वैज्ञानिक रूप से ‘अमर’ माना जाता है. यह तनाव या चोट की स्थिति में अपनी कोशिकाओं को फिर से युवा अवस्था में बदल सकती है.
  • सांस लेने का तरीका: इनके पास फेफड़े नहीं होते. जेलीफिश अपनी पतली त्वचा के माध्यम से सीधे पानी से ऑक्सीजन अवशोषित करके सांस लेती हैं.
  • दुनिया का सबसे जहरीला जीव: ‘बॉक्स जेलीफिश’ (Box Jellyfish) को दुनिया के सबसे जहरीले समुद्री जीवों में से एक माना जाता है. इसका डंक इंसान के लिए बेहद घातक हो सकता है, हालांकि ये मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और मध्य प्रशांत क्षेत्रों में पाई जाती हैं
फोटो: बॉक्स जोली फिश.
  • भोजन और अनुसंधान: जेलीफिश कुछ एशियाई संस्कृतियों में भोजन का हिस्सा भी है और समुद्री पारिस्थितिकी पर शोध में इसका उपयोग किया जाता है.

 पर्यावरण के लिए जेलीफिश का महत्व

जेलीफिश समुद्री खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. ये छोटी मछलियों, क्रस्टेशियंस और ज़ूप्लंकटन का शिकार करती हैं, जबकि समुद्री कछुए जैसे कुछ जीव इन्हें खाते हैं.

हालांकि, समुद्री प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और तापमान में वृद्धि के कारण कई क्षेत्रों में जेलीफिश की संख्या (ब्लूम्स) में असामान्य वृद्धि देखी जा रही है, जिससे कभी-कभी तटीय पर्यटन और मछली पकड़ने के उद्योग को नुकसान होता है.

इस ‘विश्व जेलीफिश दिवस’ पर, समुद्री जीवों की रक्षा और उनके पारिस्थितिक तंत्र को समझने के लिए जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है.