रायपुर। 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस है. मातृभाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिये यह दिवस मनाया जाता है. जिससे भूमंडलीयकरण के दौर मातृभाषा को बचाया जा सके. इस मुहिम में बीते 30 साल से नंदकिशोर शुक्ल लगे हैं. छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ी भाषा को स्कूली शिक्षा का माध्यम बनाने के अभियान में जुटे नंदकिशोर शुक्ल दो दिसवीय सत्याग्रह पर बैठ गए हैं. आजाद चौक में गांधी प्रतिमा के नीचे उन्होंने अकेले ही सत्याग्रह शुरू कर दिया है. वे समय-समय पर जन-जागरण और पदयात्रा भी करते रहते हैं.
नंदकिशोर शुक्ल का कहना है कि मातृभाषा को तभी बचाया सकता है. जब उसमें पढ़ाई-लिखाई. यही नहीं बच्चों का तेज मानसिक विकास भी मातृभाषा में ही संभव है. इसलिए पूरे विश्व में प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा मातृभाषा में ही कराने पर जोर दिया जा रहा है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इसे अनिवार्य भी किया गया है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में अब तक इसे अनिवार्य रूप से लागू नहीं किया गया है. जबकि छत्तीसगढ़ी राज्य की राजभाषा भी है.
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