रायपुर. सिकल सेल अनुवांशिक रोग है जो माता पिता से बच्चों को मिलता है. अगर दोनो सिकल सेल रोग से ग्रसित है तो अपनी नई पीढ़ी में इस रोग के पहुँचने की संभावना अधिक होती है.  भौगोलिक रुप से देश के कई राज्यों में सिकल सेल के रोगी पाए जाते है जिसमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान है . सिकल सेल रोग कई जनजातियों में अनुवांशिक रूप से घर कर गया है .

डॉ अरविन्द नेरल, राज्य सिकल सेल संस्थान के महानिदेशक सह एचओडी पैथोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी पं.ज.ला.नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर के अनुसार खून में ऑक्सीजन और हिमोग्लोबिन की कमी के कारण यह रोग होता है .
सिकल सेल जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग की भी कुछ जातियों और क्षेत्रों में ज़्यादा पाया जाता है. प्रदेश में 9.8 प्रतिशत लोगों में सिकल सेल के जींस पाए जाते हैं. जबकि 0.98 प्रतिशत से 1 प्रतिशत लोग इससे ग्रसित है. प्रदेश के लिए यह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है| नवयुवकों और नवयुवतियों को विवाह पूर्व कुंडली मिलान के साथ-साथ सिकलिंग की कुंडली का मिलान भी करा लेना लाभकारी होगा. सिकल सेल रोग से ग्रसित हैं तो आने वाली पीढ़ी को बचाया जा सकता हैं, डॉ नेरल का कहना है.

उनके अनुसार यह बताना भी मुश्किल है कि यह बीमारी कब और कहां से आई लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है मलेरिया पैरासाइट से बचने के लिए कभी-कभी लाल रक्त कणों ने यह रक्षात्मक रूप धारण किया हो.
डॉ. नेरल ने कहा छत्तीसगढ़ में लगभग 2.5 लाख लोग में सिकल सेल से ग्रसित है . सामान्य व्यक्ति में विशेष रुप से लाल रक्त कण अंग्रेजी के ओ आकार के होते हैं. लेकिन सिकल सेल ग्रस्त व्यक्ति में लाल रक्त कण की आकृति हंसिए के समान होती है. इसलिए इसको सिकल सेल कहते हैं| लाल रक्त कण हंसिए के आकार के होने के कारण शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचकर रुकावट उत्पन्न करते हैं जिसके कारण शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन और हीमोग्लोबिन नहीं मिल पाता है विशेष रूप से तिल्ली, फेफड़े, हृदय, गुर्दे, लीवर को यह खराब कर देते हैं जिसके कारण रोगी की असमय मृत्यु हो जाती है .

रोकने के उपाय
डॉ. नेरल कहते है इस बीमारी को रोका जा सकता है और बहुत हद तक खत्म भी किया जा सकता है. इसके लिए विवाह पूर्व सिकलिंग कुंडली का मिलान करा लेने से अनुवांशिक गुणों का दूसरी पीढ़ी में जाना रोका जा सकता है . अंतरजातीय विवाह सिकल सेल को बढ़ावा देता है . अगर अंतरजातीय विवाह के बंधन को तोड़कर विवाह किया जाए तो भी इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है .

सिकल सेल दो प्रकार के होते हैं

सिकल वाहक कैरियर (ए एस) और सिकल पीड़ित रोगी (एसएस)
सिकल सेल कैरियर या सिकल सेल ट्रेट (हेटेरोजायगोट्स) भी कहते हैं . इसमें सिकल का एक जींस होता है . लेकिन इसमें रोग के कोई लक्षण नहीं होते हैं . इन्हें किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती है. यह सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं . इन्हें स्वयं भी मालूम नहीं होता है के उनके रक्त में सिकल का जींस हैं . सिकल रोग के प्रसार की रोकथाम के अभियान में इनका विशेष महत्व है . लेकिन जब यह अनजाने में दूसरे सिकल रोगी या वाहक से विवाह करते हैं तो सिकल पीड़ित संतान होने की संभावना बढ़ जाती है.
सिकल पीड़ित रोगी (एसएस) सिकल सेल सफरर (होमोजायगोट्स) भी कहते हैं . जब दोनों पालकों के असामान्य जींस मिलते हैं तो संतान सिकल रोगी या सफरर होती है . इसे सिकल सेल एनीमिया रोग भी कहा जाता है. ऐसी स्थिति में रोग के सभी लक्षण मिलते हैं .
सिकल सेल में लाल रक्त कण की आयु बहुत कम हो जाती है सामान्य तौर पर लाल रक्त कण की आयु 100 से 120 दिन की होती है . वही सिकल सेल से ग्रसित रोगी के लाल रक्त कणों की आयु मात्र 10 से 12 दिन तक रह जाती है जिससे रोगी की असमय मृत्यु हो जाती है

कोविड-19 में कैसे करें बचाव

वर्तमान समय में कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए सिकल सेल रोग के रोगी का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि उसकी सामान्य प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है ऐसे लोगों को बाहर निकलते समय बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है . मां-बाप को चाहिए कि ऐसे बच्चों को बाहर एकांत में निकालें तो उनके साथ रहे . बाहर की वस्तुओं को छूने से बचाऐं .शारीरिक दूरी को बनाएं . फल सब्ज़ियों का ज्यादा प्रयोग करें . पानी का सेवन ज्यादा से ज़्यादा करें . ठंड और धूप से भी बच्चों को बचाऐं .हल्का-फुल्का ही व्यायाम करें लेकिन जानकारी लेकर ही . फोलिक एसिड, ज़िक और पेनिसिलिन की दवाई का प्रयोग डॉक्टर की सलाह अनुसार ही करें .