रायपुर. प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है. वो भौम प्रदोष व्रत या मंगल प्रदोष व्रत कहलाता है. इस व्रत को रखने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याए दूर होती हैं और उनके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आता और जीवन में समृद्धि लाता है. प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात: काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिए. पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय” का जाप करें. पूरे दिन निराहार रहें.

त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिए. प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे के बीच की जाती है. व्रती को चाहिए की शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें. पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें. यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं. पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें. पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें. कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें. कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें. “ऊँ नम: शिवाय” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें. इसके बाद दोनों हाथ जो‌ड़कर शिव जी का ध्यान करें.

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ध्यान का स्वरूप

करोड़ों चंद्रमा के समान कांतिवान, त्रिनेत्रधारी, मस्तक पर चंद्रमा का आभूषण धारण करने वाले पिंगलवर्ण के जटाजूटधारी, नीले कण्ठ तथा अनेक रुद्राक्ष मालाओं से सुशोभित, वरदहस्त, त्रिशूलधारी, नागों के कुण्डल पहने, व्याघ्र चर्म धारण किए हुए, रत्नजड़ित सिंहासन पर विराजमान शिव जी हमारे सारे कष्टों को दूर कर सुख समृद्धि प्रदान करें. ध्यान के बाद, मंगल प्रदोष/भौम प्रदोष की कथा सुने अथवा सुनाएं. कथा समाप्ति के बाद. हवन सामग्री मिलाकर ११ या २१ या १०८ बार “ऊँ ह्रीं क्लीं नम: शिवाय स्वाहा” मंत्र से आहुति दें. उसके बाद शिव जी की आरती करें. उपस्थित जनों को आरती दें. सभी को प्रसाद वितरित करें. उसके बाद भोजन करें. भोजन में केवल मीठी सामग्रियों का उपयोग करें. मंगलवार को होने से मंगल प्रदोष का शुभ योग बन रहा है. मंगलवार को इस विधि से करें शिवजी की पूजा.

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व्रत और पूजा की विधि

  • प्रदोष में बिना कुछ खाए व्रत रखने का विधान है. ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फल खा सकते हैं. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
  • भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं.
  • शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें. भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं. आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं. इसके बाद शिवजी की आरती करें.
  • रात में जागरण करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें. इस तरह व्रत व पूजा करने से व्रती (व्रत करने वाला) की हर इच्छा पूरी हो सकती है.