वृक्ष की पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. पूजनीय वृक्षों को हम अपने घर के आस-पास ही लगाते हैं. ऐसी मान्यता है कि घर के आस-पास लगाने से और उनकी देखभाल करने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है. जिसमें कुछ ऐसे श्राप होते हैं जो हमारे पिछले जन्मों के कर्मों के कारण इस जन्म में आ जाते हैं. उन सभी दोषों से मुक्ति के लिए वृक्षों की पूजा का विधान मिलता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है.

इन वृक्षों को माना जाता है पवित्र

पीपल : हिंदू धर्म में पीपल का बहुत महत्व है. पीपल के वृक्ष में जड़ से लेकर पत्तियों तक देवी-देवताओं का वास होता है. गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं, ‘हे पार्थ वृक्षों में मैं पीपल हूं.’ पीपल के प्रत्येक तत्व जैसे छाल, पत्ते, फल, बीज, दूध, जटा एवं कोपल तथा लाख सभी बहुत काम आते हैं.

बरगद या वटवृक्ष : पीपल के बाद हिंदू धर्म में बरगद को बहुत महत्व है. पौराणिक मान्यता के अनुसार बरगद में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास माना गया है. बरगद को साक्षात शिव भी कहा गया है. बरगद को देखना शिव के दर्शन करना है.

आम का पेड़ :  हिंदू धर्म में अनुयायियों के लिए आम के पेड़ का धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य होते हैं तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम के पत्तों की लड़ी लगाई जाती है. धार्मिक पंडाल और मंडपों में सजावट के लिए आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है.

खेजड़ी का पेड़ : हिंदू धर्म में शमी या खेजड़ी के वृक्ष की भी पूजा की जाती है. दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा रही है. लंका विजय से पूर्व भगवान राम द्वारा शमी के वृक्ष की पूजा का उल्लेख मिलता है.

बिल्व वृक्ष : बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) विश्व के कई हिस्सों में पाया जाने वाला वृक्ष है. हिन्दू धर्म में इसे भगवान शिव का रूप ही माना जाता है व मान्यता है कि इसके मूल यानि जड़ में महादेव का वास है तथा इनके तीन पत्तों को जो एक साथ होते हैं उन्हे त्रिदेव का स्वरूप मानते हैं परंतु पाँच पत्तों के समूह वाले को अधिक शुभ माना जाता है, अतः पूज्य होता है.

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