बिलासपुर-आईएएस डाॅक्टर आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति का मामला एक बार फिर कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है. बीजेपी नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने सिंगल बेंच के उस फैसले को रिट अपील के जरिए चुनौती दी है, जिसमें नियुक्ति को जायज ठहराया गया था. जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पूर्व में लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया था.

सिंगल बेंच के फैसले को बीजेपी नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने रिट अपील के जरिए एक बार फिर चुनौती दी है. उनकी इस अपील को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई योग्य मानते हुए स्वीकार कर लिया है. जस्टिस प्रशांत मिश्रा और गौतम चौरड़िया की डबल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. डबल बेंच ने इस मामले में राज्य शासन और डाॅ.आलोक शुक्ला को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई नवंबर के आखिरी हफ्ते में होने की संभावना है. कहा गया है कि फिजिकल कोर्ट शुरू होने के बाद इस मामले की सुनवाई शुरू होगी.

इससे पहले डाॅ.आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि यह नियम विरूद्ध है. याचिका में डाॅक्टर शुक्ला को संविदा नियुक्ति पर रखे जाने की राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाया गया था. याचिका में कहा गया है कि बहुचर्चित नान घोटाले में शुक्ला का नाम शामिल हैं, ऐसे में उनकी पुनःनियुक्ति असंवैधानिक है. संविदा भर्ती नियम 2013 के मुताबिक रिटायर अधिकारी के विरूद्ध यदि कोई विभागीय या अन्य तरह की जांच लंबित है, तो उस अधिकारी को पोस्ट रिटायरमेंट संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती. आलोक शुक्ला नान घोटाले में चार्टशीटेड हैं. उनके खिलाफ जांच जारी है. तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी उनके खिलाफ निलंबन की सिफारिश की थी.

इस याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी ने अपने आदेश में नियुक्ति को जायज ठहराया गया था. कोर्ट के फैसले की जानकारी देते हुए वकील आयुष भाटिया ने बताया था कि संविदा भर्ती नियम के रूल 17 में दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए डाॅक्टर आलोक शुक्ला को छत्तीसगढ़ सरकार ने संविदा नियुक्ति दी थी. नियुक्ति दिए जाने के बाद राज्य शासन ने उन्हें स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा विभाग का प्रमुख सचिव बनाया था. इसके साथ-साथ माध्यमिक शिक्षा मंडल और व्यावसायिक परीक्षा मंडल के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था. कोर्ट ने पक्ष को सुनकर यह माना कि शुक्ला की नियुक्ति पूरी तरह से वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए की गई.