शब्बीर अहमद, भोपाल। हमीदिया के कमला नेहरू अस्पताल में बड़े हादसे के बाद भी प्रबंधन की लापरवाहियां लगातार जारी है। घटना के बाद से बच्चों के परिजन बदहवास हालत में हैं। हादसे के बारे में जिसने सुना, जिसने देखा उसका दिल रो उठा लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी अगर किसी का दिल नहीं पसीजा तो प्रबंधन में बैठे लोगों का। मां के आंसुओं को देख कर शायद यमराज भी कांप उठे लेकिन इन आंसुओं से अगर किसी की आंखे नम नहीं हुई तो वह है हमीदिया अस्पताल के प्रबंधन की। आप भी शायद यही कहेंगे जब मां के नवजात के मौत के बाद प्रबंधन के लोगों ने बड़ी बेरहमी से उसे उसका बच्चा ढूंढने के लिए कह दिया। मां का कसूर इतना था कि उसने पैदा हुए जिम्मेदारों की लापरवाही की आग में जले अपने जिगर के टुकड़े का शव मांग रही थी। जिसे वह अपना दूध भी पिला नहीं सकी। उन जल्लादों ने उसे कह दिया खुद ढूंढ लो।
हमीदिया की आग लगी तो शार्ट सर्किट की वजह से लेकिन लापरवाही थी जिम्मेदारों की। प्रबंधन की इन्हीं लापरवाहियों से नाराज मृतक बच्चों के परिजनों अस्पताल के बाहर जमकर हंगामा किया। मृतक बच्चों के परिजन सड़क पर धरने पर बैठ गया। उन्होंने बच्चों को बदलने का आरोप लगाया है। एक बच्चे की रोते बिलखती मां ने कहा कि अभी तक उसका बच्चा उसे नहीं दिया गया, अस्पताल के लोगों ने कहा कि खुद बच्चे को ढूंढ लो।