लुधियाना। एक दुःखद दुर्घटना में 20 साल के यश की मौत हो गई, लेकिन यश जाते-जाते भी 4 लोगों को जिंदगी दे गया. दरअसल लुधियाना में हुए एक सड़क हादसे में यश पांडे की मौत हो गई. उसे पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया. उसके सिर पर गंभीर चोट लगी थी. पीजीआई ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. जवान बेटे की मौत से परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन माता-पिता ने बेटे को मरने के बाद भी जिंदा रखने का फैसला लिया और इसके लिए उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए उसके अंगों को दान कर दिया. इससे 4 मरीजों को नई जिंदगी मिल गई. परिवार ने पीजीआई को अपने जवान बेटे का दिल, किडनी, पैंक्रियाज और कॉर्निया दान कर दी. उसका दिल मुंबई के एक मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया है.

फाजिल्का में EVM स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर फायरिंग, गोली लगने से सब इंस्पेक्टर बलदेव सिंह की मौत

 

1 मार्च को हुआ था यश का एक्सीडेंट

यश प्रेम नगर लुधियाना में परिवार के साथ रहता था. 1 मार्च को उसे एक तेज रफ्तार गाड़ी ने टक्कर मार थी. उसे सिर में गंभीर चोट आई थी. यश को तुरंत पीजीआई चंडीगढ़ लाया गया, यहां डॉक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिशें की, लेकिन वह रिकवर नहीं हो पाया और जिंदगी और मौत के बीच में फंसा रहा. ऐसे में डॉक्टरों ने 3 मार्च को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. ब्रेन डेथ सर्टिफिकेशन कमेटी द्वारा सहमति देने के बाद पीजीआई के ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर ने यश के पिता से अंगदान की प्रार्थना पर विचार करने को कहा. इस पर परिवार ने बड़ा हौसला दिखाया और अपनी मंजूरी दे दी. यश के पिता मनोज कुमार पांडे ने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें बताया था कि उनके बेटे के ठीक होने की अब कोई संभावना नहीं है. अगर उसके अंग किसी को दान मिलते हैं, तो वह उन लोगों के रूप में जिंदा रहेगा, ऐसे में उन्होंने यह फैसला लिया.

 

ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया

पीजीआई के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर विपिन कौशल ने बताया कि यश के मृत शरीर से दिल, एक किडनी, पैंक्रियाज और कॉर्निया निकाले गए. पीजीआई में यश के दिल के साथ किसी का मैच न होने पर बाकी अस्पतालों से संपर्क किया गया. मुंबई के सर एचएन रिलांयस हॉस्पिटल में एक मरीज के साथ दिल का मैच हुआ. NOTTO (नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए यह संभव हो पाया. यश के दिल को समय रहते सुरक्षित ढंग से मुंबई तक पहुंचाने के लिए पीजीआई से टेक्निकल एयरपोर्ट, चंडीगढ़ तक ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाया गया. दोपहर 12.25 बजे फ्लाइट उड़ी और समय पर मुंबई यश का दिल पहुंच गया. वहीं यश की किडनी और पैंक्रियाज किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को लगाए गए. वहीं दो मरीजों को कॉर्निया लगाई गई. इससे वह दुनिया को देख पाएंगे.