भोपाल। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, जिनके निशाने पर मोदी सरकार पहले से ही है, अब वो शिवराज के राज पर भी सवाल खड़े करते नजर आ रहे है. सिन्हा अपनी ही सरकार से नाराज किसानों के आंदोलन में शामिल होने के लिए दो दिन के दौरे पर मध्यप्रदेश में है.
पहले दिन बुधवार को जबलपुर पहुंचे सिन्हा ने शिवराज सरकार की नीतियों पर जमकर हमला बोला. मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि प्रदेश के हालातों को सुनकर निराशा हुई, कृषि विश्वविद्यालय को अनावश्यक रूप से बांटा गया है. स्मार्ट सिटी के नाम पर छोटे तौर पर व्यापार करने वाले लोग बेरोजगार हो रहे हैं.
सिन्हा ने केंद्र सरकार की नीतियों की भी मुखालफत की. सिन्हा कल गाडरवारा के पास मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठे किसानों की आवाज को अपना समर्थन देंगे. यह वह किसान हैं, जिनकी संख्या लगभग 250 है और जिन्होंने अपनी जमीन एनटीपीसी प्लांट के लिए दी थी. लेकिन अभी तक उन्हें मुआवजा राशि नहीं मिली है, जबकि प्लांट का 75 फीसदी से ज्यादा का काम पूरा हो चुका है.
ये किसान 22 दिसंबर से प्लांट के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं और निर्माण कार्य ठप्प हो चुका है..ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भाजपा से जुड़े इन नेताओं ने यदि किसानों के समर्थन में मोदी से लेकर शिवराज सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है तो क्या यह मान लिया जाए कि इससे मध्यप्रदेश में चर्चित मंदसौर गोलीकांड के बाद ठंडा हुआ किसान आंदोलन एक बार फिर आने वाले समय में उग्र रूप अख्तियार कर सकता है.
सिन्हा के साथ पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री भी आए हुए हैं और वे भी किसानों के आंदोलन में शामिल होंगे. इसके साथ ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री यसवंत सिन्हा ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बड़ा हमला बोला है उन्होंने कहा कि आज की बीजेपी वो बीजेपी नहीं है जो अटल-आडवाणी के समय थी.
मीडिया से बातचीत के दौरान यशवंत सिन्हा का दर्द बाहर छलक आया उन्होंने कहा कि पीएम से मिलने का 13 महीने पहले समय मांगा था लेकिन आज तक मिलने का समय नहीं मिला. उन्होंने कहा मैंने तय किया है कि अब सरकार से कोई बात नहीं की जाएगी, देश में आज किसानों पूछपरख नहीं हो रही है. मैंने अपने जीवन मे आंकड़ों का बड़ा खेल-खेला है, प्रदेश में किसानों के हालात ठीक नहीं है,आंकड़ों के दम पर अवार्ड लिया जाता है.