राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा ने शनिवार को कहा कि यह हमारे संविधान में इकलौता पद है, जिसका चुनाव पूरे देश के स्तर पर लड़ा जाता है. इस बार इस चुनाव ने ऐसे अभियान का रूप ले लिया है, जहां लड़ाई पहचान की नहीं बल्कि विचारधारा की हो गई है. जो लोग आदिवासी पहचान, हित और सम्मान की बात कर रहे हैं, वह आदिवासी को प्रधानमंत्री क्यों नहीं बना देते?
यशवंत सिन्हा ने कहा कि एक तरफ हम लोग लोकतंत्र को बचाने के लिए खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर खड़े लोग लोकतंत्र को खत्म करने पर तुले हैं. उन्होंने राज्य के सांसदों और विधायकों से अपील की कि जाति के आधार पर किसी का समर्थन नहीं हो, अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट करें.
प्रजातंत्र को खत्म करने की कोशिश हो रही- यशवंत सिन्हा
देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति की चर्चा करते हुए सिन्हा ने कहा कि अब प्रजातंत्र को ही खत्म करने की कोशिश चल रही है. अब तो सरकार के खिलाफ ना तो संसद में बोल सकते हैं और न ही संसद के बाहर विरोध कर सकते हैं. शब्दों को असंसदीय बताते हुए जो सूची जारी की गई है, उसका मतलब यही है कि संसद में सिर्फ सरकार का स्तुति का गान करना है. ये बड़ी हास्यास्पद स्थिति है. उन्होंने कहा कि लोकशाही का जो मंदिर है उसे खत्म किया जा रहा है. केवल पांच साल में वोट डालना ही प्रजातंत्र नहीं है. प्रजातंत्र तो रोज व्यवहार में दिखना चाहिए.
Yashwant Sinha said that those who are talking about identity in the presidential election, they should make a tribal as PM.
देश में इस वक्त डर का महौल
उन्होंने कहा कि देश में हर व्यक्ति के लिए एक तरह के डर का माहौल है, सिर्फ एक व्यक्ति को छोड़कर यह डर उनके कैबिनेट के मंत्रियों में है, उनके अपने लोग भी डरे हुए हैं. जिस तरह से ED, CBI और इन्कम टैक्स का दुरुपयोग हो रहा है, उसमें सरकार के खिलाफ वही लड़ सकता है जो बेदाग है.
जब सिन्हा से यह पूछा गया कि क्या चुनाव में आपको आपके सांसद पुत्र जयंत सिन्हा का वोट मिलेगा? उन्होंने कहा कि मेरे पुत्र से इस बारे में बात कर लीजिए. मुझे उसकी तरफ कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है.
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