करीब ढाई दिन तक कर्नाटक का मुख्यमंत्री रहने के बाद बीएस येदियुरप्पा ने विधानसभा में इस्तीफा का ऐलान कर दिया है. आज जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे कर्नाटक में होने वाले शक्ति प्रदर्शन को लेकर कयासों का बाजार गर्म होते जा रहा है. दोपहर तक जेडीएस के दो गायब विधायक भी सदन पहुंच गए. विपक्ष की एकजुटता देखकर पहले ही लगने लगा था कि येदियुरप्पा बहुमत विश्वास मत हासिल नहीं कर पाएंगे. सियासत के पुराने खिलाड़ी येदियुरप्पा भी इसे भांप चुके थे, जैसे 97 में अटल बिहारी वाजपेयी पहले ही समझ चुके थे कि अब सदन में बहुमत हासिल नहीं किया जा सकता. तब उन्होंने एक ऐतिहासिक भाषण सदन में दिया जिसे आज की पीढ़ी भी यूट्यूब पर सुनती पाई जाती है.

दरअसल अटल जी ने उस भाषण के जरिए सदन को ही नहीं पूरे देश की सद्भावना अपने पक्ष में कर रहे थे. जो कि अगले चुनाव में उनके लिए संजीवनी का काम करने वाला था, और हुआ भी यही. कुछ इसी अंदाज में येदियुरप्पा ने अपने भाषण में गरीब, किसान, छात्र, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को बेहद प्रभआवी ढंग से उठाया. उन्होंने कहा कि गरीबी के खिलाफ लड़ाई के लिए जनता ने उन्हें चुना है. और वे जनता के लिए संघर्ष करते रहेंगे फिर वो कुर्सी पर रहें या न रहें. फिलहाल कांग्रेस-जेडीएस की सरकार कर्नाटक में बनेगी लेकिन सियासत और बयानबाजी का दौर आने वाले वक्त में भी दिखेगी.