Indian Nurse Nimisha Priya Case: यमन सरकार (Yemen Government) ने भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द कर दी है। यमन की राजधानी सना में हाई लेवल मीटिंग में यह फैसला हुआ। भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के ऑफिस ने सोमवार देर रात इसकी जानकारी दी। बयान में कहा गया है कि निमिषा प्रिया की मौत की सजा, जिसे पहले स्थगित किया गया था, अब पूरी तरह से रद्द कर दी गई है। हालांकि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।
निमिषा प्रिया (37) को जून 2018 में एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। उन्हें 16 जुलाई को मौत की सजा दी जानी थी। हालांकि, इससे पहले ही 15 जुलाई को निमिषा की सजा अस्थाई रूप से टाल दी गई थी।
दरअसल निमिषा प्रिया का मामला वर्ष 2018 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा है। निमिषा पर अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या करने और फिर शव के टुकड़े कर देने के आरोप हैं। उन्हें मार्च 2018 में हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था और 2020 में यमनी अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी।

भारत और यमन के धर्मगुरुओं ने बातचीत की थी
भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार और यमन के चर्चित सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज ने 15 जुलाई को इस मसले पर बातचीत की थी। इसमें यमन के सुप्रीम कोर्ट के एक जज और मृतक का भाई भी शामिल था। यमन के शेख हबीब को बातचीत के लिए मुफ्ती मुसलियार ने मनाया था। यह भी पहली बार था कि जब मृतक के परिवार का कोई करीबी सदस्य बातचीत को तैयार हुआ हो। यह बातचीत शरिया कानून के तहत हुई थी। यह मृतक के परिवार को दोषी को बिना किसी शर्त के या फिर ब्लड मनी के बदले माफ करने का कानूनी अधिकार देता है।
क्या है निमिषा को मौत की सजा मिलने की पूरी कहानी?
केरल की 34 साल की नर्स निमिषा प्रिया मूलतः पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं। 2008 में नौकरी की तलाश में निमिषा यमन गई थीं। वे एक ईसाई परिवार से ताल्लुक रखती हैं। यमन की राजधानी सना में उनकी मुलाकात एक स्थानीय नागरिक तालाल अब्दो महदी से हुई, जिसके साथ उन्होंने साझेदारी में एक क्लिनिक शुरू किया। कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में दरार आ गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महदी ने निमिषा का उत्पीड़न शुरू कर दिया और सार्वजनिक रूप से खुद को उसका पति बताने लगा। इतना ही नहीं, उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया, ताकि वह भारत न लौट सकें।

यमन के अधिकारियों के अनुसार निमिषा ने 2017 में कथित तौर पर अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की,लेकिन यह प्रयास घातक साबित हुआ। क्योंकि महदी की संभावित ओवरडोज़ से मौत हो गई। इसके बाद यमनी अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 2018 में उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया और 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुना दी। मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया। मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनकी सजा के खिलाफ अभियान चलाना शुरू किया।
निमिषा की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी
भारत सरकार ने 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो निमिषा के मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया था- हम एक हद तक ही जा सकते हैं और हम वहां तक पहुंच चुके हैं।
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