अमित कोंडले, बैतूल। देश में ऐसे कई लोग आज भी हैं जिन्हें जिंदा होते हुए भी सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया जाता है। उनकी पूरी जिंदगी खुद को जीवित साबित करने में बीत जाती है। इस काम में पैसे और समय की बर्बादी होती है। इसी सब को देखते हुए बैतूल के बालाजीपुरम मंदिर के संस्थापक एनआरआई सैम वर्मा ने एक अनूठा अभियान शुरू किया है। जिसका नाम ‘हां मैं ज़िंदा हूं’ है। इस अभियान के तहत कागजों में मृत घोषित किए लोगों को न्याय मिलने तक कानूनी और आर्थिक सहायता मुहैया करवाएगा। मंदिर प्रबंधन देश के किसी भी ऐसे व्यक्ति की मदद करेगा जो जिंदा होते हुए भी दस्तावेज में मर चुका है।

फिल्म की कहानी रियल स्टोरी थी

साल 2021 में पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज में दिखाया गया था कि कैसे जायदाद के लालची लोग अपनों को मृत घोषित करवाकर उनकी संपत्ति हड़प लेते हैं। इसके बाद कागजों पर मर चुका एक शख्स खुद को जीवित साबित करने की जद्दोजहद करता है। फ़िल्म की कहानी एक रियल लाइफ स्टोरी थी, वहीं देश में ऐसे कई मामले आज भी सामने आते रहते हैं जब खुद को जीवित साबित करने में लगे किसी पीड़ित को कानूनी और आर्थिक सहायता नहीं मिल पाती है। समाज और सिस्टम के सामने वो एक मजाक बनकर रह जाता है। ऐसे ही पीड़ितों को अब बैतूल के बालाजीपुरम मंदिर से मदद मिलेगी जिसका बीड़ा संस्थापक एनआरआई सैम वर्मा ने उठाया है।

पीड़ित को एक रुपए भी खर्च करना नहीं पड़ेगा

एनआरआई सैम वर्मा ने बताया कि देश का कोई भी पीड़ित जिसे जीवित रहते सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित किया गया हो वो तो बैतूल के बालाजीपुरम मंदिर कार्यालय में सम्पर्क कर सकता है। अगर पीड़ित मानसिक तौर पर कानूनी लड़ाई के लिए तैयार है तो संस्थान उस पीड़ित की निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मदद करने तैयार है। केस चलने तक मंदिर प्रबंधन पीड़ित के रहने खाने का बन्दोबस्त भी करेगा। पीड़ित को एक रुपए भी जेब से खर्च नहीं करना पड़ेगा।

पीड़ितों को मदद दिलाने की पेशकश

मंदिर के बाहर एक फ्लैक्स लगाया गया है जिसमें पीड़ितों को मदद दिलाने की पेशकश की गई है। सैम वर्मा अप्रवासी भारतीय जरूर हैं लेकिन वो हमेशा कुछ ऐसा काम कर देते हैं जो सबसे हटकर होता है। ये वही सैम वर्मा हैं जिन्होंने अपनी पत्नी को चांद पर जमीन का टुकड़ा खरीद कर गिफ्ट किया है। जो इंसान चांद पर जमीन खरीद सकता है वो धरती पर किसी को न्याय दिलाने में जरूर मदद करेगा।

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