उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में गोवर्धन योजना अब नई रोशनी लेकर आई है. पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी 72 जिलों में बायोगैस टैंक स्थापित किए जा रहे हैं. हर जिले को 50 लाख रुपये तक की धनराशि स्वीकृत की गई है. अब तक 117 में से 115 बायोगैस संयंत्र पूर्ण रूप से क्रियाशील हो चुके हैं, जहां से न केवल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है, बल्कि ग्रामीणों की आमदनी के नए अवसर भी सृजित हो रहे हैं.

श्रावस्ती जनपद की टंडवा महंत ग्राम पंचायत इस योजना की सफलता का सशक्त उदाहरण है. यहां 24 लाख रुपये की लागत से स्थापित अत्याधुनिक बायोगैस प्लांट ने गांव की ऊर्जा व्यवस्था को आत्मनिर्भर बना दिया है. इस प्लांट से संचालित आटा चक्की पूरी तरह बायोगैस से चल रही है, जो प्रतिदिन 2 से 3 क्विंटल गेहूं पीसने में सक्षम है. पहले जहां चक्की के संचालन में बिजली और डीजल पर निर्भरता थी, वहीं अब ग्रामीणों को सस्ती दर पर केवल 1 रुपये प्रति किलो में पिसाई सुविधा उपलब्ध है. इससे ग्रामीणों को सीधा आर्थिक लाभ हो रहा है.

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बायोगैस संयंत्रों में गोबर और जैविक कचरे का उपयोग किया जा रहा है, जिससे न केवल ऊर्जा उत्पादन हो रहा है, बल्कि जैविक खाद का निर्माण भी संभव हुआ है. इससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम हुई और खेती अधिक टिकाऊ बनी है. इस योजना के संचालन में स्थानीय युवाओं को बायोगैस यूनिट के रखरखाव एवं संचालन का प्रशिक्षण दिया गया है, जबकि महिलाएं खाद निर्माण और स्वच्छता अभियानों में सक्रिय रूप से जुड़ी हैं. इस प्रकार यह योजना रोजगार, सामाजिक सहभागिता और आत्मनिर्भरता- तीनों लक्ष्यों को एक साथ पूरा कर रही है.

सौर ऊर्जा से हो रही अतिरिक्त आय

टंडवा महंत ग्राम पंचायत में स्थापित सोलर प्लांट से अब तक 51,151 की अतिरिक्त आय अर्जित की जा चुकी है, जो ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में उपयोग की जा रही है. इसी प्रकार बायोगैस से चलने वाली चक्की से 2,100 की आय दर्ज की गई है, जिससे पंचायत को स्थायी आर्थिक आधार प्राप्त हुआ है. पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि “टंडवा महंत ग्राम पंचायत का बायोगैस प्लांट आत्मनिर्भरता और नवाचार का जीवंत उदाहरण है. यह न केवल ऊर्जा बचत कर रहा है, बल्कि ग्रामीणों को निश्चित आय और समय की बचत भी प्रदान कर रहा है. यह मॉडल ‘ऊर्जा से आय’ की दिशा में राज्य के लिए प्रेरक है.” अत्याधुनिक बायोगैस इकाइयां केवल ऊर्जा उत्पादन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का बहुआयामी उपकरण हैं. गोवर्धन योजना उत्तर प्रदेश को ग्रामीण आत्मनिर्भरता के नए युग में ले जा रही है.