दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अब धार्मिक नगरी वाराणसी के घाटों के किनारे बैठने वाले पंडितों और धार्मिक आयोजनों को कराने पर टैक्स वसूलने का ऐलान किया है। इससे बनारस के पंडित क्षुब्ध हैं।

दरअसल, वाराणसी नगर निगम की तरफ से जारी एक आदेश में कहा गया है कि गंगा नदी के किनारे स्थित घाटों पर ब्राह्मणों और पुरोहितों को अपनी चौकी लगाने के लिए नगर निगम में पंजीकरण कराना होगा और इसका वार्षिक शुल्क 100 रुपये भी उनको देना होगा। इस कदम से काशी का पंडा समाज बेहद खफा है। उन्होंने कहाकि योगी सरकार ने मुगल काल की याद ताजा करा दी। इसे उन्होंने जजिया कर बताया।

वहीं सरकार के इस फैसले से काशी में जबरदस्त गुस्सा है। बनारस नगर निगम में विपक्ष के पार्षदों ने इस मुद्दे पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। नगर विकास मंत्रालय द्वारा वाराणसी की सीमा के अंदर नदी के किनारे स्थित घाटों के रखरखाव, संरक्षण और नियंत्रण के लिए कानून बनाया है। जिसमें घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने पर 4000 रुपये प्रतिदिन, धार्मिक कार्य आयोजन पर 500 रुपये प्रतिदिन, सामाजिक कार्य के आयोजन पर 200 रुपये प्रतिदिन टैक्स के तौर पर देना होगा।