लखनऊ. छत्तीसगढ़ के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी भाजपा और हिंदुत्व का चेहरा होंगे. नवंबर के बचे हुए दिनों में 11 दिन वह चुनाव प्रचार में ही व्यस्त रहेंगे.

इस क्रम में 11, 14, 15 और 18 नवंबर को उनकी चुनावी जनसभाएं छत्तीसगढ़ में होंगी. वहां दूसरे चरण के लिए 72 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होना है. इसके बाद उनका रुख मध्य प्रदेश की ओर होगा. वहां उनका फोकस आदिवासी बहुल और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे जिले होंगे. हालांकि मालवा के क्षेत्र से भी उनके रैलियों की मांग आ रही है. अब तक के घोषित कार्यक्रम के अनुसार योगी 19, 21, 23 और 25 नवंबर को मध्य प्रदेश में करीब दो दर्जन चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होना है. दो दिसंबर को तेलंगाना में भी उनकी जनसभाएं होंगी.

मध्य प्रदेश की आबादी में आदिवासी जन-जातियों की संख्या 21 फीसद से अधिक है. धार, झाबुआ, नीमच, बालाघाट, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी, मांडला, पन्ना, गुना, शिवपुरी और विदिशा आदि जिलों में इनकी संख्या सर्वाधिक है. इनकी नाथ पंथ में आस्था है और योगी मुख्यमंत्री के साथ पंथ का मुख्यालय माने जाने वाले गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं. इन क्षेत्रों में उनकी सभाओं का खासा असर पड़ सकता है.

मध्य प्रदेश के बाद योगी पांच दिन राजस्थान में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे. 25 नवंबर से इसका सिलसिला शुरू हो जाएगा. 25, 26, 28 एवं 29 नवंबर एवं एक दिसंबर को वह वहां होंगे. इस दौरान वह वहां दो दर्जन से अधिक चुनावी रैलियां करेंगे. राजस्थान से गोरक्षपीठ और नाथ पंथ का रिश्ता पुराना है. योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के गुरु महंत दिग्विजय नाथ चित्तौड़ राजघराने के ही थे. अलवर में भी नाथ संप्रदाय का बड़ा मंदिर है. इसके अलावा अन्य कुछ जगहों पर भी नाथ संप्रदाय के मंदिर और उसके मानने वाले हैं. 

अयोध्या में भव्य दीपोत्सव का आयोजन, वहां गुजरात के स्टैच्यू आफ यूनिटी जैसी भगवान श्रीराम की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव और मंदिर के बारे में साफगोई से योगी की ब्रांड वैल्यू और बढ़ी है. अपने चुनावी सभाओं में जन्मभूमि पर अब तक मंदिर न बनने के लिए वह कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सीधा मुकाबला भी कांग्रेस से ही है. इन राज्यों में उनकी और चुनावी सभाओं की मांग हो रही है.