रोहित कश्यप,मुंगेली. फरवरी महीने की शुरुआत होते हैं लोग एक-दूसरे को इस माह के खास दिनों की बधाई लगातार सोशल मीडिया में दे रहे हैं. कभी चॉकलेट डे, रोज डे तो फिर आज वैलेंनटाइंस डे पर सोशल मीडिया में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. इसके साथ ही कई लोग सोशल मीडिया में एक और मैसेज का भी जिक्र कर रहे हैं जिसमें कहा जा रहा है कि काश क़भी रोटी डे का भी दिन आता तो लोग इस दिन जरूरतमंदों को रोटी बांटते. तो चलिए हम आपको बताते है कि रोटी डे तो आप किसी भी दिन मना सकते हैं, वो भी जरूरतमंदों और गरीबों को रोटी बांटकर.
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ के मुंगेली शहर का एक शख्स लगातार दो सालों ऐसे ही लोगों के साथ रोटी डे मनाते आ रहा है. बता दें कि आज से करीब 2 साल पूर्व मार्च महीने से जरूरतमंदों को दो रोटी खिलाकर इस अनोखी पहल की शुरुआत मुंगेली के साजिद खान ने किया था. जो कि लगातार हर रोज अब वह जरूरतमंदों को रोटी बांटते आ रहा है. वो भी सेवा भाव और बिना किसी स्वार्थ और बिना किसी मदद के इस मुहिम को चला रहा है. ये बात अलग है कि किसी दिन लोग रोटी डोनेट कर बीच-बीच में कुछ लोग अपने किसी रिश्तेदार की स्मृति में उन्हें रोटी बांटने के लिए बोलते है. इस दो रोटी अभियान को साजिद खान ने अब अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है और वह रोज शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में खुद ही घूम घूम कर अलग-अलग स्थानों में प्रतिदिन 30-40 रोटी वर्तमान समय में बांट रहा है.
ट्रांसपोर्ट का काम करने वाले साजिद खान ने लल्लूराम डॉट कॉम से खास बातचीत में कहा कि करीब 2 साल पहले ट्रांसपोर्ट का काम करते वक्त एक मानसिक रूप से विक्षिप्त आदमी को बस स्टैंड में खाली पेट सोते देखा था. जिसके बाद एक दिन वह विक्षिप्त आदमी मेरे से कुछ खाने के लिए मांगने लगा जिस पर उसे समोसा और बड़ा खरीद कर मैंने दिया. जिसके बाद वह व्यक्ति रोज ही मेरे पास आ जाता और खाने के लिए सामान मांगता इसी को देख कर मेरे दिमाग में ये ख्याल आया और मैंने इन के लिए घर से दो रोटी लाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मांगने वालों की संख्या बढ़ती चली गई इसके बाद मैंने इसे एक अभियान के रूप में ले लिया और अब हर रोज अपनी कमाई के 10% खर्च कर रोजाना 30 से 40 रोटी लोगों को बांट रहा हूं. जिसका उद्देश्य सिर्फ सिर्फ जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है. जिससे कोई भी व्यक्ति खाली पेट ना सो सके.
आपको बता दें कि साजिद खान को उनके द्वारा चलाए जा रहे अभियान की स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों एवं समाजसेवी संस्थाओं ने भी काफी सराहना की है. इसके अलावा उन्हें कई बार इस कार्य के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है. मुंगेली के तत्कालीन कलेक्टर एनएन एक्का ने तो बकायदा उन्हें प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया था. वही यह जानकर आपको हैरानी होगी इस अभियान के चलते लोग अब इन्हें रोटी वाले बाबू के नाम से भी पुकारते है. वाकई साजिद खान द्वारा चलाए जा रहे इस अनोखा अभियान की तारीफ ए काबिल है. इससे समाज के अन्य लोगों को भी सीख लेनी चाहिए और इस कार्य को करने के लिए आगे भी आना चाहिए.