रायपुर– मोबाइल की घंटी बजी। फोन रिसीव किया । उधर से आवाज आई। “सर मुझे बताइए मुझे कोरोना होगा कि नहीं मेरे परिवार के सदस्य की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है“। मनोवैज्ञानिक (क्लीनिकल साइकोलॉजी विशिष्टता) छात्र नरेंद्र कुमार वर्मा बताते हैं कि हर दो-चार दिन में इस तरह के फोन आते हैं और घबराई हुई आवाज में लोग ऐसी ही बातें पूछते हैं ।
कोरोनावायरस के संक्रमण ने लोगों के अंदर डर पैदा कर दिया है साथ ही भ्रामक जानकारियों से भी लोग गुमराह हो रहे हैं । लोग मानसिक रूप से परेशान होते हैं तो कॉल करते हैं इसलिए हमारा यह काम है कि लोगों के मन की शंकाओं को दूर कर उन्हें उचित परामर्श दिया जाए ।
मनोवैज्ञानिक छात्र देवेंद्र वर्मा कहते हैं कि कई बार ऐसे फोन आते हैं जिसमें पूछा जाता है कि मेरे पड़ोस में कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति मिला है, मैं अपने घर को रोज़ धोती हूं बार-बार हाथ धोती हूं साथ ही सैनिटाइजर का भी प्रयोग करती हूं, घर से बाहर निकलती हूं या दरवाजे पर कोई भी आता है उससे मिलती हूं तो आकर फिर से नहाती हूँ,दिनभर में ऐसा चार पांच बार करती हूं वैसे मुझे सर्दी खांसी बुखार या जुकाम जैसी कोई शिकायत नहीं है फिर भी बार-बार लगता है मुझे कोरोना हो जाएगा, मुझे कोरोना वायरस का संक्रमण तो नहीं होगा? कोरोना से बचने के लिए मैं और क्या करूं? इस तरह के प्रश्नों का हम फोन पर उचित परामर्श देते हैं । अगर लोगों के मन में कोई भी शंका उत्पन्न हो रही हो तो वह टोल फ्री नंबर 104 पर डायल कर मनोवैज्ञानिक सलाह ले सकते हैं ।
जिले में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर सकारात्मक मनोवैज्ञानिक परामर्श के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य विभाग ने पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के मनोवैज्ञानिक छात्रों की सेवाएं, स्वैच्छिक सेवा प्रदाता के रुप में लेने का निर्णय किया था।
प्रोफेसर मनोविज्ञान अध्ययनशाला की डॉ.प्रियवंदा श्रीवास्तव ने बताया कि जिला मानसिक स्वास्थ्य विभाग रायपुर और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के मनोविज्ञान विभाग से अनुबंध किया गया ताकि जिले के समस्त विकासखंड में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। साथ ही इसके लिए स्वैच्छिक सेवा प्रदान करने हेतु मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और रायपुर मनोरोग स्पर्श क्लीनिक के चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डीएस परिहार के सहयोग से मनोवैज्ञानिक छात्रों का भी सहयोग लिया गया था । इसमें आरंग, अभनपुर, धरसींवा, रायपुर और तिल्दा में स्वैच्छिक सेवा के तहत टेलीमेडिसिन के माध्यम से अपने क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य से ग्रसित नियमित रुप से लॉकडाउन और अनलॉक में परामर्श ले रहे है । ये छात्र क्वारंटाइन सेंटरों में भी काउंसलिंग की सेवाएं दे रहे हैं ।
डॉ.श्रीवास्तव ने कहा मनोवैज्ञानिक स्वैच्छिक सेवा प्रदाताओं ने अप्रैल से जुलाई तक 670 लोगों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से परामर्श दिया है । वहीं अप्रैल में 168,मई में 184,जून में 252,और जुलाई में 66 लोगों को परामर्श दिया है ।
टेलीमेडिसिन के माध्यम से 108 लोगों ने डिप्रेशन से बचने के लिए परामर्श लिया है । वहीं 92 लोगों द्वारा नशा मुक्ति के लिए परामर्श लिया गया है । 309 लोगों ने कोविड-19 के तनाव को लेकर परामर्श लिया है । 161 ऐसे लोग थे जिन्होंने अन्य मानसिक स्वास्थ्य के लिए मनोवैज्ञानिकों से नियमित परामर्श लिया है ।
रायपुर मनोरोग स्पर्श क्लीनिक के चिकित्सा मनोवैज्ञानिक डीएस परिहार ने बताया मनोवैज्ञानिक द्वारा जिले में मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित लोगों को परामर्श दिया जा रहा है । पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वैच्छिक रूप से छात्र-छात्राओं द्वारा लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए लोगों को मनोरोग के विषय में परामर्श दे रहे है।
कहॉ कहॉ से मिल रही है सेवा!
आरंग में राहत केंद्र भानसोज ,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरफ़ौद, रीवा, चंदखुरी, कुरुदकुटेला के स्वास्थ्य केंद्रों से सम्पर्क कर मनोवैज्ञानिक परामर्श मानसिक स्वास्थ्य से पीडित लोग ले सकते है ।
अभनपुर में उपरवारा, अभनपुर, गोबरा नवापारा,तोरला, खोरपा, गुढियारी,खिलोरा के स्वास्थ्य केंद्र से लोग मनोवैज्ञानिक परामर्श ले सकते है ।
धरसींवा में सिलयारी,मांढर और दोंदेकलॉ बिरगॉव के स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क कर लोग मनोवैज्ञानिक परामर्श प्राप्त कर सकते है ।
तिल्दा में खरोरा, बंगोली, खैरखुट के स्वास्थ्य केंद्र से मनोवैज्ञानिक परामर्श ले सकते है ।
रायपुर में हिरापुर कबीरनगर और भाटागॉव, डीडी नगर के स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क कर लोग मनोवैज्ञानिक परामर्श ले सकते है ।