रिपोर्ट- कंचन ज्वाला ‘कुंदन’ महासमुंद। आपको नानक सागर गाँव आकर लग सकता है कि आप फिल्म पीके की तरह किसी और गोले में आ चुके हैं…क्योंकि नानक सागर में जो कुछ है उसे देखकर एकबारगी लगता है की यह दृश्य तो हमारी दुनिया का बिलकुल नहीं हो सकता…गाँव का हर मकान..चाहे वह कच्चा हो या पक्का…रंगा है तो बस गुलाबी रंग से…हर घर में टॉयलेट है…हर घर में कचरा डंपिंग की अलग व्यवस्था है..हर घर के बाहर और हर गली में पेड़- पौधे लगे हैं..हमारा घर जितना साफ़-सुथरा रहता है उससे ज्यादा स्वच्छ तो यहाँ की हर गलियाँ हैं…
आपको स्वच्छ भारत अभियान से इंस्पायर अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर की फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा का तो बेसब्री से इन्तजार होगा ही…11 अगस्त को फिल्म रिलीज होने पर बेशक..इसे आप जरुर देखिये …मगर आज हम आपको दिखाना चाहते हैं स्वच्छता की मिसाल गुलाबी गाँव की सच्ची कहानी…गाँव के सरपंच सुवर्धन प्रधान की पहल पर आदिवासी बाहुल्य गाँव नानक सागर ओडीएफ घोषित हुआ..सरकार ने नानक सागर गाँव को सुग्घर गाँव का दर्जा देकर सम्मानित भी किया है…
गाँव के सरपंच सुवर्धन प्रधान बताते हैं कि उन्होंने गुलाबी नगर जयपुर के बारे में सुना था…फिर क्या था सरपंच सुवर्धन ने भी मन में जिद पाल ली कि उसका भी गाँव गुलाबीमय होगा..सरपंच सुवर्धन प्रधान ने पुरे गाँव के लोगों को बुलाकर बैठक ली…बैठक में अपना विचार रखा तो गाँव के लोगों ने भी समर्थन किया…और क्या था पुरे गाँव का कायाकल्प हो गया …इस गाँव की स्वच्छता की महक दिल्ली तक पहुँच चुकी है…दिल्ली से एक टीम इस गाँव की कांसेप्ट समझने आ चुकी है…यह बात भी चर्चा में है कि दिल्ली की टीम टॉयलेट एक प्रेम कथा के लिए यहाँ शूट करने आये थे..खैर…इस बात की सच्चाई चाहे जो भी हो मगर गांव की स्वच्छता, संस्कार और एकजुटता की कहानी सौ फीसदी सच है..
गांवों के देश हमारे भारत में गाँव कहते ही नजर आता है कच्ची सड़क, कीचड़ और कीचड़ से सने पांव… मगर महासमुंद बसना के पास एक गाँव ऐसा भी है जिसे छत्तीसगढ़ का गुलाबी गाँव कहा जाता है. इस गाँव में 197 परिवार निवास करते हैं. इस गाँव की कुल आबादी 700 है…इस गांव में कई जातियों के लोग हैं..सब मिलजुलकर रहते हैं..साथ- साथ सब मिलकर मनाते हैं…उत्सव भी और शोक भी…किसी की मृत्यु होने पर गाँव के हर जाति के लोग मृत्युभोज में शामिल होते हैं…और किसी उत्सव, तीज- त्यौहार में तो पूरा गाँव किसी दूसरी दुनिया का तस्वीर जैसा नजर आने लगता है…देश में कई शहरों को करोड़ों रुपए खर्च कर स्मार्ट सिटी के रूप में डेवलप किया जा रहा है . ऐसे में इस गाँव के ग्रामीणों ने ठानी कि क्यों न अपने गांव को भी ऐसा बनायें कि छत्तीसगढ़ के साथ देशभर में भी इसकी चर्चा हो… स्मार्ट सिटी बन सकता है तो स्मार्ट गाँव क्यों नहीं बन सकता…इस पर विचार-विमर्श करने के लिए गांव में एक बैठक रखी गई, जिसमें गांव को हरा-भरा बनाने और गुलाबी रंग से घरों को रंगने का निर्णय लिया गया…
ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष कमलचंद प्रधान को गार्डनिंग की फितूर बचपन से था…कमलचंद ने अपने दोनों मकानों में बड़ा- बड़ा गार्डन डेवलप कर रखा है…गार्डन में आम के बगान भी है…साल- सागौन के पेड़ सहित अन्य बहुत सारे वृक्ष उगा रखा है कमलचंद ने…वे बताते हैं कि गाँव को हरा-भरा करने की कल्पना हमारे सरपंच चाचा सुवर्धन प्रधान के पहल पर हुई…मैंने अपने निजी गार्डन से सारे पेड़-पौधे गांव भर में लगाने के लिए दे दिए…स्वच्छता के कारण पूरा गाँव आज स्वस्थ भी है…कमलचंद प्रधान बताते हैं कि पिछले दो सालों में इस गाँव के एक भी सदस्य की आस-पास के अस्पताल में एक भी एंट्री नहीं है…गाँव में स्वच्छता के विचारधारा आने के बाद गाँव स्वस्फूर्त नशामुक्ति की ओर बढ़ रहा है ..वे आगे कहते हैं कि आप आस-पास के पुलिस थानों में पता कर लीजिये..पिछले दो वर्षों में किसी भी प्रकार की कोई केस दर्ज नहीं है..हम अब हर हाथ को काम देना चाहते हैं ..पुरे गाँव की आर्थिक उन्नति चाहते हैं…इस काम में हमें शासन के सहयोग की अपेक्षा है..उम्मीद है सरकार हमारा भरपूर सहयोग करेगी..
सरपंच सुवर्धन प्रधान बताते हैं कि हम लोगों ने टीवी पर जयपुर पिंक सिटी के बारे में सुना था. तब हमने निर्णय लिया कि हम भी अपने गांव को गुलाबी ग्राम बनाएंगे . मीटिंग बुलाई, फिर सभी एकत्र होकर गुलाबी गांव बनाने में लग गए हमारा गांव दूसरों से अलग है. गांव में करीब 25 मिनी गार्डन भी हैं. जहां तरह-तरह के फूल खिले हैं. इससे पूरा गांव का माहौल ही बदल गया है. नानकसागर गांव में प्रत्येक व्यक्ति के घर के सामने अशोक के पौधे लगे हैं. देखभाल करने की जिम्मेदारी भी गांव वालों की है. इस गांव के मुहाने पर पहुंचते ही फूलों की भीनी-भीनी खुशबू, गुलाबी रंगों से रंगी दीवारें, हर घर के सामने बनी एक वाटिका और अशोक के पेड़, हर तरफ साफ-सुथरा. यह नज़ारा देखते ही अचानक मन प्रसन्न हो उठता है. कोई भी व्यक्ति जब इस गांव को देखता है तो जुबां पर यही होता है कि वाह क्या गांव है. यह गांव है की अजूबा…
अदम गोंडवी की एक शेर है…
तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है
अदम गोंडवी ने यह चुभती पंक्तियाँ ग्रामीण विकास पर सरकार के खोखले दावों के लिए लिखी है..मगर गुलाबी गाँव नानक सागर देखकर अदम गोंडवी की ये कड़वी शेर आपको मिश्री सी मीठी लगेगी.. इस गांव के बरअक्स ये पंक्तियाँ बौनी और झूठी नजर आएगी..हमारा दावा है एक बार आकर देखिये गुलाबी गाँव..आप भी रंग जायेंगे हमारी रंग में…गुलाबी रंग में…