सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। मजदूर परिवार अपने बेटे को अपनी तरह जिदंगी देना नहीं चाहता. वो चाहता है कि उसके बच्चे भी पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करे. एक ऐसा ही सपना बिरगांव के एक मजदूर ने भी देखा था. लेकिन कोरोना काल में उसकी अकाल मौत हो गई. लॉकडाउन में परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. इस चिंता में मां भी बीमार रहने लगी. घर का सारा बोझ कॉलेज की पढ़ाई कर रहे युवक पर आ गया. मजबूरी में उसे मजदूरी करना पड़ रहा है. उसके पिता उसे पढ़ा लिखाकर अच्छी नौकरी दिलाना चाहता था. लेकिन उसकी ये इच्छा खत्म होते देखे युवक से रहा नहीं गया.

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जब उसे आज पता चला कि मुख्यमंत्री बिरगांव आने वाले हैं. लोगों को करोड़ों की सौगात देने वाले हैं तो वह भी मदद की आस लेकर मुख्यमंत्री की सभा में पहुंच गए.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मंच से बिरगांव नगर निगम के लोगों को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान आर्थिक तंगी से जूझ रहा युवक अचानक स्टेज की ओर जाने लगा और मुख्यमंत्री से मुलाकात करने की जिद करने लगा. युवक की इस जिद को देखते हुए पुलिसकर्मियों ने उसे रोक लिया. पुलिसकर्मियो ने जब इसकी वजह पूछी तो उसने रोते हुए बताया कि वो आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, उसे पढ़ाई में भी दिक्कत आ रही है. वह मदद की आस लेकर आया है.

युवक का नाम परदेसी दास मानिकपुरी है, जो बेहद गरीब परिवार से है. उसके माता-पिता पहले बलौदाबाजार जिले के भाटापारा में रहते थे. करीब बीस साल पहले काम की तलाश में उसके पिता बिरगांव आए थे और यही किराया लेकर इटभट्ठी में काम करने लगे थे. लॉकडॉउन के समय परिवार पर आफत आ गई और उसके पिता गुजर गए, जिसके बाद परदेसी को नौकरी करने की जरूरत पड़ गई. परदेसी बिरगांव के ही कपड़े के दुकान में काम करते हैं. जहां उनके काम का समय काफी ज्यादा है. वे वर्तमान में बी.कॉम की पढ़ाई कर रहे है, लेकिन काम की वजह से थकान इतनी हो जाती है कि वे पढ़ ही नहीं पाते, दूसरी ओर मां भी बीमार रहती है. घर का किराया भी देना है और कपड़े के दुकान में काम करने के दौरान तनख्वाह भी इतनी नहीं मिलती कि गुजारा हो सके, इसलिए परदेसी मुख्यमंत्री बघेल से मुलाकात करना चाहते थे.

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