बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजति समाज की ओर से 32% आरक्षण की मांग जोर पकड़ने लगी है. पिछले कुछ दिनों पहले उच्च न्यायालय बिलासपुर ने आदेश करते हुए छत्तीसगढ़ आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य करते हुए छत्तीसगढ़ में आरक्षण 2012 के पूर्ववत रखने का आदेश दिया था. जिससे अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाला आरक्षण 32% से घटकर 20% होने के मुद्दे पर जनजाति समुदाय के लोग उग्र हुए. पूरे प्रदेश में ब्लॉक और जिलों में ज्ञापन, धरना, प्रदर्शन कर विभिन्न संगठनों के माध्यम से सरकार और राज्यपाल से 32% आरक्षण को बहाल करने के साथ मांग पूरी नहीं होने पर आगे लड़ाई को और तेज करते हुए चक्काजाम और विधानसभा घेराव की चेतवानी दी थी.

इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कुछ मंत्रियों ने कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश लाने का मौखिक आश्वासन दिया था. लेकिन पिछले दिनों हुई बैठक में आरक्षण के संबंध में अध्यादेश तो दूर इस संबंध में कोई चर्चा तक नहीं हुई. इस रोष में जनजाति समाज सरकार के ढ़ुलमुल रवैये से खासा नाराज है. इसलिए जनजाति सुरक्षा मंच के युवाओं ने सरकार को पुनः अगाह करते हुए राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम से कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. जल्द इसके लिए ठोस रणनिति बनाकर
ब्लॉक, जिला और राजधानी में उग्र आंदोलन की बात उपस्थित युवाओं द्वारा किया गया.