राजकुमार दुबे, भानुप्रतापपुर। भानुप्रतापपुर के युवाओं की एक छोटी से पहल ने न सिर्फ एक विक्षिप्त युवती को दरिंदों की नजरों से बचाया बल्कि उसे नई जिंदगी भी दी. भागबती कोरेटी कुछ महीने पहले भानुप्रतापपुर की गलियों में मैले-कुचैले कपड़े पहने 20-22 वर्ष की एक विक्षिप्त युवती घूमा करती थी. कुछ लोग उसे पागल कहते थे तो कई ललचाई नजरों से भी उसे देखा करते थे.

भागबती के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं है. परिवार में सिर्फ नाना बिसाहू राम ही हैं. जो बूढ़े होने के साथ ही आर्थिक रुप से भी बेहद कमजोर थे. उधर मानसिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से वह पागलों की भांति गली मोहल्ले में घूमा करती थी. ठंड के मौसम में उस पर कुछ युवाओं की नजर पड़ी और फिर उसकी जिंदगी बदल गई.

फरवरी की ठिठुरती ठंड में बदन पर सिर्फ एक कपड़ा और कांपता तन देख नगर के युवाओं द्वारा बनाए गए एक संगठन शांति फाउंडेशन ने युवती को प्रशासन की मदद से उसे बिलासपुर के सेंदरी स्थित मनो चिकित्सालय में भर्ती कराया गया. जहां 3 माह तक उसका उपचार चला. उपचार के पश्चात अब वह स्वस्थ है. 18 मई को भागबती को सेंदरी से लाकर रायपुर स्थित सखी सेंटर में रखा गया है .