मार्कण्डेय पाण्डेय, लखनऊ : यूपी में डेढ़ हजार मौतों का सच क्या है। जिंदगी जीने के लिए होती है। हार के बाद जीत, गम के बाद खुशी का नंबर आता है। रात होती है तो सुबह भी होती है। जिंदगी में धूप है, तो छाया भी है। जो युवा उर्जा से लबरेज होते हैं जब खुद के लिए, समाज के लिए के लिए कुछ कर गुजरने की उम्र होती है तब वह मौत को गले क्यों लगा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में युवा छोटी-छोटी बातों पर मौत को गले लगा रहे हैं। जिंदगी में भाग जाना आसान है लेकिन चुनौतियों से जूझना हारना और जीतना यही फलसफा जिंदगी का रोमांच है। लेकिन प्रदेश के बडे़ शहरों में युवा जिंदगी से पलायन कर रहे हैं, संघर्ष की जगह पलायन का यह रास्ता बेहद शर्मनाक है।

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आत्महत्या के मामले

नैशनल क्राईम ब्यूरो एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में कानपुर युवा मौतों के मामले में अव्वल है। तो वहीं राजधानी लखनउ दूसरे नंबर पर है जहां युवा सबसे अधिक आत्महत्या कर रहे हैं। हालांकि आत्महत्या के मामले सिर्फ युवाओं में नहीं 12 साल से लेकर 80 साल के बुजुर्गो में भी देख जा रहा है। लेकिन इसमें औसत सबसे बड़ी तादात युवाओं की है जो अपनी जान के दुश्मन बने हुए हैं।

महिलाएं आत्महत्या के मामले में पुरुषों से पीछे

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक लखनउ में साल 2022 में 361 लोगों ने आत्महत्या किया। गौर करेंगे तो यह कितना भयावह आंकड़ा है जिसका मतलब है कि 365 दिनों में लगभग रोजाना ही मौत की बुरी खबर समाचारों में रही है। एक मेडिकल जर्नल में छपी रिर्पोट के मुताबिक महिलाएं आत्महत्या के मामले में पुरुषों से पीछे हैं। कारण कि भावनात्मक तौर पर वह पुरुषों से अधिक मजबूत होती है और विपरीत हालात से लड़ने की उनकी क्षमता भी अधिक होती है। हालांकि जिन महिलाओं ने आत्महत्या किया उसमें युवतियों की तादात अधिक थी।

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एनसीआरबी के डाटा के अनुसार ताज नगरी आगरा में एक साल में आत्महत्या के मामले तीन गुना बढे़ हैं। यूपी में आत्महत्या का डरावना सच यह है कि पिछले एक साल में यूपी में 1631 गृहणियों ने मौत को गले लगाया है। बेरोजगार 1541, छात्र 1060, स्वरोजगार वाले 1011, वेतनभोगी 708, व्यवसायी 653, दिहाड़ी मजदूर 490 इसके अलावा 413 लोगों ने अपनी जिंदगी की डोर खुद ही काट ली है।

एनसीआरबी के डाटा के अनुसार

साल 2021 में कानपुर में 372 आत्महत्या और साल 2022 में 438, लखनउ में साल 2021 में 304 और साल 2022 में 362, आगरा में साल 2021 में 99 और साल 2022 में 298, गाजियाबाद में साल 2021 में 64 और साल 2022 में 157 लोगों ने आत्महत्या किया है।

क्यों करते हैं जिंदगी खत्म

आर्थिक तंगी, बेरोजगारी, परिवार में कलह, प्रेम में असफलता यही चार प्रमुख कारण है जिनके कारण 99 फीसद लोग अपनी जिंदगी खत्म करके मौत को गले लगा रहे हैं।

हमारा सुझाव
सकारात्मक रहें, लड़ना जूझना सीखें, संघर्ष से भागे नहीं। याद रखें भगवान को भी जिंदगी में संघर्ष और युद्ध लड़ना पड़ा है तो हम तो फिर भी मनुष्य हैं। अपने आप को सकारात्मक रखे, अच्छा साहित्य पढे़, अच्छे दोस्तों के साथ अपनी समस्या को शेयर करें। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार नियमित व्यायाम और सुबह की सैर आपको शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट रखता है जिससे आपको जीवन में भी भय की जगह आनंद आने लगता है।

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