राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। भोपाल के मानस भवन में मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित तुलसी जयंती एवं युगतुलसी पद्मभूषण पं. रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह का भव्य आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह का शुभारंभ किया और सुप्रसिद्ध वक्ता एवं धर्मसेवी स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया।

समारोह में स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज ने अपने संबोधन में सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “धरती माता पर भारत माता की जय का अलौकिक भाव है। सनातन परंपरा में जीवन के दस मूल्यों को धर्म माना गया है, जो भगवान राम में पूर्ण रूप से विद्यमान थे। राम जैसा बनने का प्रयास करें, आपका जीवन स्वतः धर्ममय हो जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “भगवान राम का उद्देश्य केवल रावण वध नहीं, बल्कि लोगों को धर्म सिखाना था। धर्म सीखने का सबसे उत्तम मार्ग राम कथा है।

“स्वामी जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, “पापी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन भारत एकमात्र देश है, जहां संस्कृति आज भी जीवित है। तुलसीदास जी की चौपाइयों ने धर्म को बचाए रखा और राम मंदिर पुनः स्थापित हुआ।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वाल्मीकि जी तुलसीदास के रूप में और तुलसीदास जी पं. रामकिंकर जी के रूप में रामायण का प्रचार करने आए।स्वामी जी ने गुरु परंपरा और राष्ट्रीय चिंतन पर बल देते हुए कहा, “विश्वामित्र जी ने राम-लक्ष्मण को रामराज्य की स्थापना के लिए चुना। अपने संबोधन में कहा कि तुलसीदास जी के कारण घर-घर रामायण पहुंची और राम मंदिर का सपना प्रधानमंत्री मोदी जी की दृष्टि से साकार हुआ।” उन्होंने नई शिक्षा नीति में राम और कृष्ण को पाठ्यक्रम में शामिल करने और गीता भवन निर्माण की पहल का भी स्वागत किया। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सनातन संस्कृति और भारतीय विरासत के संरक्षण पर दिया जोर 

अपने प्रेरक संबोधन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सनातन संस्कृति और भारतीय विरासत के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा, “हमारी सनातन संस्कृति की हस्ती अनमोल है, जो सदियों की आंधियों में भी नहीं मिटी। मुगल आए, अंग्रेज आए, हमने इनको भी देखा, उनको भी देखा, लेकिन कुछ बात है कि हमारी हस्ती मिटती नहीं। यह भारत की वह शक्ति है, जो तुलसीदास जी की चौपाइयों और राम कथा के माध्यम से आज भी जीवित है।”उन्होंने राम मंदिर के पुनर्निर्माण को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “राम मंदिर का मामला तत्कालीन प्रधानमंत्रियों को ध्यान नहीं आया, लेकिन हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदर्शी दृष्टि ने इसे साकार किया। यही वह दृष्टि है, जिसमें हमें सृष्टि को देखना है। यह दृष्टि हमें हमारी संस्कृति के गौरव को पुनर्जनन देती है।

“मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में आई नई शिक्षा नीति ने भगवान राम और कृष्ण को पाठ्यक्रम में शामिल कर हमारी युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ा है। हम नगरीय निकायों में गीता भवन बना रहे हैं, ताकि हमारी सनातन परंपराएं और जीवन मूल्य हर घर तक पहुंचें।”समारोह में मुख्यमंत्री ने तुलसी मानस प्रतिष्ठान को भोपाल में भगवान श्रीराम के नाम पर एक भव्य संग्रहालय की स्थापना के लिए 5 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। यह संग्रहालय मानस भवन परिसर में बनेगा और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा, “यह संग्रहालय न केवल हमारी धरोहर को संजोएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को राम कथा और तुलसीदास जी के आदर्शों से प्रेरित करेगा।

मुख्यमंत्री के उद्बोधन के प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री ने कहा कि संगठन की आत्मा उसकी गतिविधियाँ होती हैं और रघुनंदन शर्मा जी संस्थान की धड़कन बन चुके हैं। उन्होंने उनके सक्रिय योगदान को प्रेरणादायी बताया।
  • डॉ. यादव ने कहा कि एक समय था जब त्योहारों को मनाने में भय व्याप्त था, परंतु आज भोपाल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बन गया है।
  • मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि यदि विश्वामित्र भगवान राम और लक्ष्मण को न ले जाते, तो राक्षसी आतंक का अंत संभव न होता। यह घटना रामराज्य की नींव रखती है।
  • उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने घर-घर रामायण पहुँचाकर सामाजिक जीवन में रामराज्य की अवधारणा को साकार किया। उनका काव्य केवल अध्यात्म नहीं, सामाजिक संरचना की प्रेरणा है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि हनुमान चालीसा संकटों का नाश करने वाली शक्ति है, जो आत्मबल, राष्ट्रबल और धर्मबल का एक अद्वितीय समन्वय है।
  • डॉ. यादव ने कहा कि 500 वर्षों के तप और बलिदान के बाद जब राम मंदिर पुनः स्थापित हुआ, वह केवल पूजन नहीं, मर्यादा की स्थापना और सांस्कृतिक विजय का प्रतीक है।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि जब वे शिक्षा मंत्री थे, तब नई शिक्षा नीति में रामायण, कृष्णलीला और तुलसी साहित्य को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में जोड़ा गया।
  • मुख्यमंत्री ने तुलसीदास जी की श्रीकृष्ण गीतावली का उल्लेख करते हुए बताया कि प्रदेशभर में गीता भवनों, सत्संग एवं संवाद स्थलों की स्थापना की जा रही है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे श्रीराम के पदचिह्नों को तीर्थ बनाया जा रहा है, वैसे ही अब श्रीकृष्ण के पदगमन स्थलों को भी विकसित किया जाएगा।
  • मुख्यमंत्री ने गीता जयंती पर आयोजित इस कार्यक्रम को राज्य की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक बताया।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि राजधानी में राजा भोज और विक्रमादित्य के नाम पर दो ऐतिहासिक द्वारों का निर्माण प्रस्तावित है।
  • समारोह में सम्मानित संत को राज्य सरकार की ओर से ₹1 लाख की सम्मान निधि डिजिटल माध्यम से प्रदाय की गई।

मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि तुलसीदास जी की मानस केवल साहित्य नहीं, राष्ट्र चेतना का ग्रंथ है। रामराज्य की स्थापना ही हमारा लोकमंगल है।

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