रायपुर. गांधी जी का अहिंसा सह अस्तित्व से निकलने वाली पड़ोस की अवधारणा पर टिकी है. अपने आस-पड़ोस में इस सहअस्तित्व को पहचानना और स्थानीय संसाधानों एवं संस्कृति के माध्यम से उनका सशक्तिकरण- विशेषकर महिला सशक्तिकरण अहिंसा का व्यावहारिक रुप है. बस्तर की केएम नायडू जी के जीवन में ये सारी बातें स्पष्ट नज़र आती हैं कि धर्म जाति और वर्ग की सीमाएं इस पड़ोस को नहीं बांट सकती.
गांधी शांतिपूर्वक सहअस्तित्व की जिस भावना को देश की एकता के लिए जरुरी मानते थे. देश की राजनीति और समाज आज भी उस बात को नहीं समझ पाई है. लेकिन गांधीवादी केएम नायडू इसे जीकर समानता का संदेश दे रही हैं. बस्तर में अपना जीवन महिलाओं और बच्चों की बेहतरी के लिए समर्पित करने वाली केएम नायडू के जीवन मूल्यों, सेवा और समर्पण में गांधी की झलक मिलती है.
केएम नायडू बस्तर में पिछले कई दशको से लोगों की सेवा कर रही हैं. वे आदिवासी महिलाओं को शिक्षित और रोज़गार से जोड़ने का काम कर रही हैं. उनका खुद का जीवन सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.
केएम नायडू ने स्वर्गीय नाज खान के साथ मिलकर कई दशकों से बस्तर में शांतिपूर्वक आदिवासी महिलाओं को शिक्षित करके उन्हें रोजगार मुहैया करवाने का काम कर रही हैं. इनके द्वारा संचालित महात्मा गांधी महिला एवं बाल कल्याण संस्थान में आदिवासी अंचल की महिलाओं और बच्चियों को शिक्षा और रोजगार दिया जा रहा है. बस्तर जिले के सुदूर क्षेत्रों से बालिकाए यहां पढ़ने आती थी. 5 शिक्षिकाएं मिलकर यहां बच्चों को पढ़ाते है. इस आश्रम से पढ़ी हुई बालिकाएं यहां से पढ़कर नौकरी कर रही है. वर्तमान समय में हमारे यहां 148 बालिकाएं निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते हुए आश्रम में रहती भी हैं.
1975 में तुलसीदास जयंती के दिन से केएम नायडू ने समाज सेवा की शुरुआत की. 18 सदस्यों ने मिलकर रामायण करते हुए कुछ पैसें इकठ्ठे कर एक जमीन खरीदी थी. फिर सन् 1976 में उन्होंने महिला शिक्षा की शुरुआत की थी.
केएम नायडू ने इस आश्रम को सामाजिक सौहार्द और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का केंद्र बनाया. इस स्थापित करने वाली दोनों महिलाएं के एम नायडू और नाज़ खान अलग अलग धर्मों की थीं. लेकिन दोनों ने साथ रहते हुए एक दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का पूरा ख्याल रखा. दोनों ने गांधी के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को पूरी तरह जीकर दिखाया. नायडू और नाज खान का परिवार एक साथ रहता है नायडू शुद्ध शाकाहारी है लेकिन नाज खान के परिवार वाले मांसाहारी है लेकिन दोनों परिवारों के आस्था पर इसका कोई असर नहीं.
आश्रम में हर दिन सर्वधर्म प्रार्थना की जाती है. केएम नायडू का कहना है कि यहां हर समाज के लोग आते हैं. आश्रम में क्रिश्चियन, मुस्लिम, जैन हिंदू धर्म के जिनके भी त्यौहार आते हैं, सभी मनाए जाते हैं. यहां दीवाली बहुत उत्साह से बनाया जाता है.
गांधी के विचारों से मिली समानता की सीख उनके काम का आधार है. इस आश्रम में सभी धर्मों की प्रार्थना की जाती है और हर सप्ताह गांधीजी के बारे में कोई एक पाठ या कोई रोचक घटना बच्चों को बताई जाती है. इस आश्रम में सिर्फ गांधी के बताए रास्ते पर नहीं जीया जाता बल्कि उनके मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम भी होता है.